स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई द्वारा बजट विश्लेषण व्याख्यान का आयोजन किया गया। 2 फरवरी 2023 को आयोजित इस व्याख्यान में राज्यसभा के पूर्व सदस्य और अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव ने भी अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया केंद्रीय बजट 2023-24 देश के बेहतर भविष्य में मददगार साबित होगा। बजट में वर्तमान के साथ ‘नए जमाने’ की अवधारणा को भी लिया गया है। बजट में शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले अहम बदलावों के लिए किया गया प्रावधान भी अहम है।
बजट विश्लेषण पर यह व्याख्यान हर साल देश के बजट की प्रस्तुति के बाद दूसरे दिन स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से आयोजित किया जाता है। डॉ. जाधव पिछले आठ साल से यह विश्लेषण पेश कर रहे हैं। स्मारक के मदाम कामा सभागृह में आयोजित इस विश्लेषण कार्यक्रम के लिए संस्य़ान के अध्यक्ष प्रवीण दीक्षित, कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, कार्यवाहक राजेंद्र वराडकर, सहकार्यवाहक स्वप्निल सावरकर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। विश्लेषण को YouTube और सावरकर मेमोरियल वेबसाइट पर भी लाइव स्ट्रीम किया गया था।
पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की वृद्धि संतोषप्रद
डॉ. जाधव ने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तावित पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की वृद्धि, यानी आने वाले वर्ष में 10 लाख करोड़ रुपये तक, आर्थिक विकास के लिए सहायक साबित हो सकता है। मोटे अनाज के लिए प्राथमिकता, सहकारी समितियों से समृद्धि की ओर बढ़ने की योजना, ग्रामीण क्षेत्रों में खराब होने वाले सामानों के भंडारण के लिए गोदाम, ‘हरित विकास’ के लिए विभिन्न योजनाएं, लड़के- लड़कियों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय, राष्ट्रीय डेटा शासन नीति सहित कई नई योजनाओं की घोषणा की गई है।
कोरोना काल में बढ़ गया था राजकोषीय घाटा
डॉ. जाधव ने बजट में विभिन्न मदों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना काल में वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल राष्ट्रीय आय का 9.2 प्रतिशत हो गया था। कोरोना काल में यह क्षम्य था; लेकिन उसके बाद इसे कम करना और राजकोषीय घाटे को 4 प्रतिशत तक सीमित करना जरूरी था। इसके लिए प्रयास किया गया है।
सभी के लिए कुछ न कुछ प्रावधान
अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव ने कहा कि बजट में हर वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ प्रदान करने का प्रयास किया गया है। राजकोषीय घाटे को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले साल वित्त मंत्री ने भविष्यवाणी की थी कि राजकोषीय घाटा राष्ट्रीय आय का 6.4 प्रतिशत रहेगा। यह सराहनीय है कि उन्होंने 2022-23 में इसे सार्थक किया। इसके पीछे मुख्य कारण टैक्सेशन है। खासकर जीएसटी में उम्मीद से ज्यादा बढ़ोतरी हुई। इसके विपरीत, व्यय अपेक्षा से कम था। लेकिन, अनुत्पादक व्यय में भारी वृद्धि हुई। इसके विपरीत, पूंजीगत व्यय में कमी आई। कराधान में वृद्धि को बढ़े हुए पूंजीगत व्यय में परिलक्षित होना चाहिए। यह सुकून देने वाली बात नहीं है कि इसे अनुत्पादक व्यय में बदल दिया गया।
टैक्स कटौती से लाभ
उन्होंने कहा कि आयकर ढांचे में बदलाव की बहुत उम्मीद थी। आम जनता को इनकम टैक्स की सीमा बढ़ाए जाने की उम्मीद थी। जो अब दिया गया है। राहत की बात यह है कि 7 लाख रुपये सालाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। हालांकि, असली फायदा अपर क्लास टैक्सपेयर्स को होगा। कर दरों में सबसे बड़ी कटौती उच्चतम टैक्स ब्रैकेट के लिए है। 30 लाख से ज्यादा सालाना आय वालों में करोड़पति-अरबपति शामिल हैं। दरअसल, टैक्स कटौती से उन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा।
वीर सावरकर द्वारा लिखित शस्त्रीय गीत से शुंभारंभ
प्रारंभ में सावरकर कला प्रबोधिनी, मृण्मयी साहनी, प्रांजल सरोज, प्रणिता अमकर, शुद्धि तलवलकर ने वीर सावरकर द्वारा लिखित शस्त्रीय गीत का गायन किया गया। कार्यक्रम का संचालन विनीत देव ने किया। दर्शकों के सवाल-जवाब सत्र के बाद, सावरकर की पोती चित्रा मसलेकर द्वारा गाए गए वंदे मातरम् गीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
व्याख्यान का 8वां साल
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से आयोजित बजट विश्लेषण कार्यक्रम मादाम कामा सभागृह में आयोजित किया गया। अर्थशास्त्री डॉ. नरेंद्र जाधव द्वारा निर्देशित विश्लेषण के इस कार्यक्रम का यह 8वां वर्ष था।