विहिप ने हिंसा और कट्टरता फैलाने वाले मुसलमानों को चेताया, कही ये बात

वहिप ने कहा कि मुस्लिम नेताओं को शरीयत थोपने की जिद छोड़ कर न्यायपालिका और संविधान को मानने के मार्ग पर समाज को ले जाना चाहिए।

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विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने कहा है कि देवबंद में आयोजित मुस्लिम सम्मेलन में महमूद असद मदनी और बदरुद्दीन अजमल जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने “भारत में मुसलमान पीड़ित हैं” का नारा लगाकर मुस्लिम समाज को एक बार फिर भड़काने का प्रयास किया है। उन्होंने चेतवानी दी कि मुस्लिम नेता अलगाव, हिंसा, घृणा और कट्टरता से बाज आएं।

विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने 30 मई को एक बयान में कहा कि ऐसा लगता है कि इस्लामी कट्टरपंथ का दशानन अलग-अलग मुंह से एक ही भाषा का प्रयोग कर रहा है। यह भाषा इन नेताओं की बौखलाहट का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि मदनी ने जिन्ना की भाषा बोलते हुए साफ कह दिया कि हमारी संस्कृति बाकी देश से अलग है। इसके बावजूद, वे भारत से अपने प्यार को दिखाने के लिए बार-बार कहते हैं कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और भारत से प्यार के कारण पाकिस्तान नहीं गए। विहिप का मानना है कि इन दोनों दुष्प्रचारों पर खुली चर्चा होनी चाहिए।

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इस बात पर होनी चाहिए चर्चा
डॉ. जैन ने कहा कि इस पर भी व्यापक चर्चा होनी चाहिए कि भारत में मुस्लिम समाज पीड़ित है या अत्याचारी। 50 से अधिक राम नवमी, महावीर जयंती आदि की शोभायात्राओं पर हमले, ईद के दिन भी हिन्दू समाज पर हिंसक हमले, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, मेवात आदि कई क्षेत्रों में हिन्दुओं की निर्मम हत्याएं, जबरन धर्मांतरण की घटनाएं, डरे हुए समाज की नहीं डराने वाले समाज की प्रतीक हैं। अब तो इन नेताओं के भड़काने पर न्यायपालिका तक को सीधे चुनौती दी जा रही है। सीएए, हिजाब, ज्ञानवापी, अयोध्या, मथुरा आदि मामलों में कोर्ट के आदेशों को सड़कों पर हिंसा के द्वारा चुनौती दी जा रही है।

महिलाओं और संविधान का सम्मान नहीं देना चाहते हैं मुसलमान
डॉ. जैन ने कहा कि देवबंद में मुस्लिम नेताओं के भाषणों से साफ दिखाई देता है कि वे देश के संविधान और न्यायपालिका तो क्या अपने समाज की महिलाओं को भी सम्मान नहीं देना चाहते। इसीलिए स्पष्ट रूप से भड़काया गया कि तीन तलाक संबंधी न्यायपालिका के आदेश को न मानकर वे अपनी पत्नियों को तीन बार बोलकर तलाक दें। महिलाओं को सम्मान दिलाने वाली समान नागरिक संहिता को लागू करने की संवैधानिक एवं न्याय व्यवस्था को ठुकरा कर शरीयत को मानने का आह्वान किया गया। मुस्लिम समाज संविधान नहीं शरीयत को मानेगा, ज्ञानवापी, मथुरा आदि मामलों पर न्यायपालिकाओं की नहीं मानी जाएगी, आदि घोषणाओं के जरिए वे मुस्लिम समाज को विद्रोह के लिए भड़काना चाहते हैं।

विहिप की अपील
विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. जैन ने कहा कि हमारी अपील है कि अलगाव, हिंसा, घृणा आदि विकास नहीं, विनाश का मार्ग है। मुस्लिम नेताओं को शरीयत थोपने की जिद छोड़ कर न्यायपालिका और संविधान को मानने के मार्ग पर समाज को ले जाना चाहिए।

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