Muslim Personal Law Board ने किया सर्वोच्च फैसले का अपमान? तलाकशुदा महिलाओं को भरण-पोषण देने के फैसले पर उठाया यह सवाल

14 जुलाई को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के ऐतिहासिक फैसले पर कहा कि यह फैसला भीख मांगने जैसा है।

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Muslim Personal Law Board द्वारा सर्वोच्च न्यायालय तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ इंडी गठबंधन के राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध ली है। 14 जुलाई को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के ऐतिहासिक फैसले पर कहा कि यह फैसला भीख मांगने जैसा है। मुस्लिम बोर्ड ने कहा की सर्वोच्च न्यायालय का यह संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का भी हनन है। बोर्ड के इस बयान को देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का अपमान के रूप में देखा जा रहा है।

बीजेपी ने उठाए सवाल
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं। बीजेपी की प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने हिंदुस्थान पोस्ट से बात करते हुए कहा कि देश में महिलाओं को बराबरी का हक मिलना चाहिए। देश का कानून अगर उन्हें यह नहीं देगा तो यह पूरी तरह गलत होगा। भारत का कानून उन मुस्लिम महिलाओं के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण होना चाहिए, जितना और धर्म की महिलाओं के लिए है।

कांग्रेस जारी करेगी आधिकारिक बयान
कांग्रेस ने इस मामले पर कहा है कि वह पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा कि कांग्रेस इसके बारे में आधिकारिक वक्तव्य जारी करेगी।

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मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ खोला मोर्चा
मुस्लिम पर्सनल बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ‌सवाल‌‌ उठाने से विवाद गहरा गया है। बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत जैसे बहुधार्मिक देश में धार्मिक संस्थाओं को अपने स्वयं के कानून का पालन करने का अधिकार है। जैसे मुसलमान के लिए शरिया एप्लीकेशन अधिनियम 1937 है।

ज्ञान वापी से संबंधित नये विवादों पर भी न्यायालय की आलोचना
बोर्ड ने ज्ञान व्यापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह से संबंधित नए विवादों पर विचार करने के लिए निचली अदालतों की आलोचना की है। इसने सुप्रीम कोर्ट से पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बरकरार रखने और विरासत मस्जिदों की रक्षा करने का आग्रह किया। फिलहाल देश संविधान से चलेगा या शरिया कानून से, इस सवाल पर राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध रखी है।

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