महाराष्ट्र के नासिक में 94वां मराठी साहित्य सम्मेलन होने जा रहा है। यह शहर स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जन्मस्थली भी है। इसलिए साहित्य सम्मेलन को स्वातंत्र्यवीर सावरकर का नाम दिया जाए ऐसी मांग भगूर पुत्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर समूह की ओर से किया गया है। समूह इस संबंध में एक पत्र भी दिया गया है।
नासिक के भगूर में स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म हुआ था। इस बार नासिक में 94वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन हो रहा है। स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम से साहित्य सम्मेलन में व्सायपीठ, प्रतिमा स्थापना, परिसंवाद आदि का आयोजन किया जाए ऐसा पत्र सम्मेलन के संयोजक को देकर मांग की गई है।
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स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम से ये कर सकते हैं…
- मराठी साहित्य सम्मेलन के स्थान को स्वातंत्र्यवीर सावरकर नगरी का नाम दिया जा सकता है
- सम्मेलन के व्यासपीठ पर स्वातंत्र्यवीर की भव्य प्रतिमा स्थापना और पूजन
- स्वातंत्र्यवीर को भारत रत्न दें ऐसा प्रस्ताव पारित कर सकते हैं
- सावरकर के साहित्यों को लोगों तक पहुंचाने के लिए स्टॉल लगाएं
- सावरकर की जन्मस्थली भगूर, उनकी ग्रंथ संपदा और मराठी भाषा के लिए उनके योगदान पर ऑडियो फिल्म बनाया जाए
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साहित्य सम्मेलन और स्वातंत्र्यवीर सावरकर
- स्वातंत्र्यवीर सावरकर देश के अग्रणी क्रांतिकारियों में से एक
- लेखन से रहा लंबा नाता… ग्रंथ, उपन्यास, लोकगीत, काव्य संग्रह, अनुवाद, पोवाडा, फटका लेखन, इतिहास लेखन, भाषा शुद्धि आदि का कार्य पूरे जीवन करते रहे
- स्वातंत्र्यवीर ने लंबे समय तक पत्रकारिता की और उससे स्वतंत्रता की लड़ाई और समाज प्रबोधन को दिशा दी
- 1938 में मुंबई में संपन्न मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पद को विभूषित किया
स्वातंत्र्यवीर और नासिक
- स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर में हुआ
उन्होंने बारह वर्ष की आयु में स्वदेशी विषय पर फटका (मराठी साहित्य का एक प्रकार) लिखा, साथ ही सवाई माधवराव का रंग उड़ानेवाला फटका भी लिखा। - आयु के मात्र पंद्रहवें वर्ष में उन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने की शपथ ली। इसके साथ ही चाफेकर बंधुओं के बलिदान पर फटका भी लिखा।
- प्लेग की महामारी में पिता दामोदर पंत और चाचा के निधन पश्चात परिवार भगूर छोड़कर नासिक में ही स्थानांतरित हो गया।
- स्वातंत्र्यवीर सावरकर की माध्यमिक शिक्षा नासिक में ही हुई। वहां उन्होंने कम आयु में हीं राष्ट्र भक्त समूह नामक गुप्त संगठन का निर्माण किया, जो विश्व में अभिनव भारत के नाम से फैल गया।
- स्वातंत्र्यवीर सावरकर के भाषणों और स्वातंत्र्य कवि गोविंद के लोकगीतों से नासिक गूंजने लगा, जिससे बड़ी संख्या में युवक स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित हुए। शिथिल पड़ चुके मस्तक और हाथों को चेतना मिली।