नई शिक्षा नीति लागू होने से छात्रों के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। फिलहाल यह कानून सिर्फ 14 साल तक के छात्रों पर ही लागू है। लेकिन इस कानून के 18 साल की उम्र तक लागू होने पर सबसे अहम बदलाव यह है कि नई शिक्षा नीति के मुताबिक 10वीं बोर्ड को रद्द कर दिया जाएगा और बोर्ड की परीक्षा 12वीं के लिए ही लागू होगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ प्रमुख बिंदु हैं-
बोर्ड परीक्षा केवल 12वीं कक्षा के लिए लागू होगी।
कॉलेज की डिग्री 4 साल की अवधि की होगी। 10वीं बोर्ड और एमफिल रद्द।
कक्षा पांच तक के छात्रों को केवल स्थानीय भाषा, मातृभाषा और राष्ट्रभाषा ही पढ़ाया जाएगा। शेष विषयों में अंग्रेजी शामिल होगी।
बोर्ड परीक्षाओं का महत्व कम हो जाएगा और बोर्ड परीक्षा 12वीं में ही देनी होगी। साथ ही 9वीं से 12वीं सेमेस्टर की परीक्षाएं भी होंगी।
जो छात्र शोध के लिए उच्च अध्ययन करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री कोर्स और स्नातक के बाद नौकरी पाने के इच्छुक लोगों के लिए 3 साल का डिग्री कोर्स होगा।
आठवीं तक क्षेत्रीय भाषा अनिवार्य।
5 + 3 + 3 + 4 मॉडल के अनुसार स्कूल के लिए 12 साल
1. पहला चरण: प्री-प्राइमरी से सेकेंड – पांच साल
2. दूसरा चरण: तीसरा से पांचवां – तीन साल
3. तीसरा चरण: छठी से आठवीं – तीन साल
4. चौथा चरण: 9वीं से 12वीं – चार साल
तीन साल से 18 साल तक के बच्चे अब शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे में आएंगे। फिलहाल यह कानून सिर्फ 14 साल तक के छात्रों पर लागू होता है। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना और 2025 तक सभी को बुनियादी साक्षरता प्रदान करना है। नई शिक्षा नीति में ‘राष्ट्रीय शिक्षा आयोग’ स्थापित करने और निजी स्कूलों को मनमानी फीस बढ़ाने से रोकने की भी सिफारिश की गई है।
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