राजस्थान में पहली बार पुरुषों पर महिलाएं पड़ीं भारी ! जानिये, क्या कहती है एनएफएचएस की रिपोर्ट

काेविड से पहले तक राजस्थान में सिर्फ 18.7 प्रतिशत लाेग ही स्वास्थ बीमा ले रहे थे। अब इनकी संख्या 69.1 प्रतिशत बढ़कर 87.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

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राजस्थान में कोरोना महामारी के संक्रमण के दाैर ने स्वास्थ बीमा काे घर-घर तक पहुंचा दिया है। काेविड से पहले तक प्रदेश में सिर्फ 18.7 प्रतिशत लाेग ही स्वास्थ बीमा ले रहे थे। अब इनकी संख्या 69.1 प्रतिशत बढ़कर 87.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)-5 की दूसरी रिपाेर्ट में यह खुलासा हुआ है। यह रिपाेर्ट सुकून देने वाली है।

रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रति महिला बच्चाें का औसत 2.2 से घटकर 2 हाे गया है। सिर्फ पांच राज्यों में दर 2 से ज्यादा है। राजस्थान में भी यह दर 2.4 से घटकर 2 पर आ गई है। परिवार नियाेजन संसाधन के उपयाेग का प्रतिशत 54 से बढ़कर 67 हाे गया है। यह अब तक का उच्चतम है। देश में संस्थागत प्रसव 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 हाे गए हैं।

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सरकारी अस्पतालाें में 98 प्रतिशत बच्चाें का वैक्सीनेशन
कुपाेषित बच्चाें की संख्या पिछली रिपाेर्ट (2015-16) में 38 प्रतिशत थी, जाे अब 36 प्रतिशत है। बड़े फैसलाें में हिस्सेदारी वाली महिलाओं का सबसे अधिक 99 प्रतिशत नागालैंड व मिजाेरम में है। राजस्थान में यह 87.7 है। पिछली रिपाेर्ट में यह 81.7 प्रतिशत था। एनएफएचएस-5 के आंकड़े 2019 से 2021 तक के हैं। काेविड के बाद दाे साल तक के बच्चाें का टीकाकरण बढ़कर 85.3 प्रतिशत हाे गया है। इनमें भी 98 प्रतिशत बच्चाें का वैक्सीनेशन सरकारी अस्पतालाें में हुआ है। संस्थागत प्रसव 84 से बढ़कर 94.9 प्रतिशत हाे गया है।इस अवधि में नवजातों के माैताें के आकड़ाें में कमी आई है। जन्म के एक माह के भीतर पहले नवजात मृत्युदर 29.8 प्रतिशत थी, जाे अब घटकर 20.2 प्रतिशत रह गई है। इसी तरह एक माह से एक साल के भीतर शिशु मृत्यु दर पहले 41.3 थी, जाे घटकर 30.3 हाे गई है। यह दाेनाें ही आंकड़े 1000 जीवित जन्मे बच्चाें पर है। उम्र के हिसाब से लंबाई में अविकसित बच्चाें की संख्या 39.1 से घटकर 31.8 हाे गई है। वजन के हिसाब से कमजाेर बच्चाें की संख्या भी 23 से 16.8 हाे गई है।

बेटे-बेटियों में भेदभाव बरकरार
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में दाे बेटाें वाली 92 प्रतिशत महिलाओं काे संतान नहीं चाहिए। दाे बेटियाें वाली 41 प्रतिशत मां बच्चा नहीं चाहतीं, जबकि 59 प्रतिशत मांओं काे बेटा चाहिए। एक बेटा-बेटी हाेने पर 89 प्रतिशत मां और संतान नहीं चाहतीं। प्रदेश में 16 प्रतिशत महिलाएं व पुरुष बेटियाें से ज्यादा बेटे चाहते हैं, जबकि बेेटाें से ज्यादा बेटियां चाहने वाले सिर्फ 2 प्रतिशत ही हैं।

इस तरह है लिंगानुपात
2015-16 की रिपाेर्ट के अनुसार राजस्थान में लिंगानुपात 973 था, जाे अब 2021 में बढ़कर 1009 हाे गया है। यानी 1000 पुरुषाें पर महिलाओं की संख्या 1009 हाे गई है। पहले जन्म के समय (बाल लिंगानुपात)1000 बेटाें पर 887 बेटियां जन्म ले रही थी। अब इनकी संख्या बढ़कर 891 हाे गई है।

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