खूंखार नक्सली दसमी कैसे बन गई रिशेप्सनिस्ट? ऐसी है नौ वर्षों की कहानी

नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार निरंतर प्रयास में है। इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलते रहे हैं। जहां नक्सली आतंक के बहकावे में आए युवा अपनी गलतियों को सुधारते हुए मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

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नक्सली के रूप में 09 साल तक जीवन व्यतीत करने वाली आत्मसमर्पित नक्सली दसमी बुधवार को मुख्यमंत्री भूपेश से जब मुलाकात हुई तो उन्होंने अपनी कहानी सुनाई। मुख्यमंत्री ने दसमी की कहानी सुनने के बाद अपनी संवेदना जताई और उसे बेहतर काम करने के लिए प्रेरित किया। बस्तर के चांदामेटा की रहने वाली आत्मसमर्पित नक्सली दसमी कुहरामी अब चित्रकोट इको टूरिज्म रिसॉर्ट में उसे रिसेप्शनिस्ट के रूप में अपनी सेवा दे रही है।

नक्सलियों के बहकावे में नौ वर्ष
दसमी कुहरामी कभी नक्सलियों के बहकावे में आकर बंदूक थामा था। अब यही हाथ बस्तर घूमने के लिए पहुंच रहे पर्यटकों के स्वागत में जुड़ते हैं। कभी नक्सली सदस्य के रूप में पहचान रखने वाली दसमी कुहरामी की पहचान अब एक सभ्य, शिष्ट रिसेप्शनिस्ट के तौर पर बन रही है। नक्सलवाद की कड़वी सच्चाई से वाकिफ होने के बाद दसमी ने आत्मसमर्पण किया। अब समाज की मुख्यधारा से जुड़कर अपनी जिंदगी को संवार रही है।

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विवाह के दिन ही उजड़ा संसार
नक्सली के रूप में 09 साल तक जीवन बिताकर आत्मसमर्पण करने वाली दसमी कुहरामी की कहानी नक्सलवाद और नक्सलियों के जीवन की कड़वी सच्चाई को बयां करती है। नक्सल प्रभावित इलाके चांदामेटा की दसमी अभावों में जीवन जी रही थी। ऐसे में अपने नाच-गाने के शौक को पूरा करने के लिए वह नक्सल समूह की चेतना नाट्य मंडली में शामिल हो गई। शुरुआत में वो नक्सल गतिविधियों की हकीकत से अनजान थी। इस बीच उसकी मुलाकात नक्सल गतिविधि में शामिल वर्गेश से हुई। दोनों में प्यार पनपा और कुछ समय बाद दोनों ने शादी कर साथ जीवन बिताने का फैसला किया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोनों ने साथ रहने के जो सपने संजोए थे, वह शादी के दिन ही बिखर गया। जिस दिन दसमी और वर्गेश की शादी हुई, उसी दिन कटेकल्याण में सुरक्षा बल के साथ हुई मुठभेड़ में वर्गेश मारा गया। दसमी भी नक्सली गतिविधि में संलिप्त रहते हुए हर वक्त भय में दिन काट रही थी, न घरवालों से मुलाकात हो पाती थी, न ही खुलकर जीवन जी पा रही थी। 09 साल तक कई तरह के बंधनों में रहने के बाद वर्ष 2020 में छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर दसमी ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला कर लिया।

अब कर रही अतिथियों का स्वागत
आत्मसमर्पण के बाद दसमी कुहरामी को प्रशासन ने समर्पण नीति का लाभ दिया, तो दसमी भी चांदामेटा लौट गई। इस बीच चित्रकोट इको टूरिज्म रिसॉर्ट में उसे रिसेप्शनिस्ट की नौकरी भी मिल गई और अब दसमी की जिंदगी की नयी शुरुआत हो चुकी है। अब वह सम्मानजनक जिंदगी बिता रही है। इन सबके लिए दसमी ने मुख्यमंत्री भूपेश का आभार जताया। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से बस्तर में अब सकारात्मक माहौल बन रहा है। बड़ी संख्या में लोग नक्सली गतिविधि को छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।

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