New Delhi: प्रधानमंत्री ने महामना मालवीय को दी आदरांजली, अपनी सरकार के लिए कही ये बात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 दिसंबर को पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर यहां विज्ञान भवन में महामना मालवीय मिशन द्वारा आयोजित समारोह में कहा कि हमारी सरकार में शासन का अर्थ सत्ता का प्रभाव नहीं बल्कि सेवा का भाव है।

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New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) का कहना है कि मेरी सरकार के कार्यों में महामना मालवीय(Mahamana Malaviya) की दृष्टि की स्पष्ट झलक मिलती है। महामना ने राष्ट्र के आधुनिक शरीर में प्राचीन आत्मा को सुरक्षित रखने की दृष्टि दी थी। सनातन सोच और संस्कारों का वे संगम(confluence of eternal thinking and values) थे। स्वतंत्रता आंदोलन(freedom movement में अपनी प्रभावी भूमिका निभाते हुए वे भविष्य का निर्माण भी कर रहे थे। उनकी प्रेरणा से ही हम देश के तेज गति से विकास के साथ ही विरासत को संवारने के कार्यों में जुटे हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय के जन्मदिवस(Birthday of Pandit Madan Mohan Malviya) पर उनके संपूर्ण वाङ्मय का लोकार्पण करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इस बात का संतोष और गर्व है कि इसी सरकार के समय महामना के राष्ट्र के प्रति अमूल्य योगदान को समझा गया और हम उन्हें भारत रत्न देकर गौरवान्वित हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 दिसंबर को पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर यहां विज्ञान भवन में महामना मालवीय मिशन द्वारा आयोजित समारोह में कहा कि हमारी सरकार में शासन का अर्थ सत्ता का प्रभाव नहीं बल्कि सेवा का भाव है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि हम संवेदनशील होकर निर्णय लेते हैं और यही हमारे सुशासन का आधार है। इस अवसर पर उन्होंने ‘पंडित मदन मोहन मालवीय के संग्रहित दस्तावेजों’ के 11 खंडों की पहली श्रृंखला का लोकार्पण किया। इस मौके पर वाङ्मय के प्रधान संपादक रामबहादुर राय, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और अर्जुन राम मेघवाल, महामना मालवीय मिशन के अध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव, कार्यकारी अध्यक्ष हरिशंकर सिंह और महामंत्री डॉ. वेद प्रकाश सिंह भी मंच पर उपस्थित रहे।

महामना मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन भारत और भारतीयता में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए प्रेरणा के त्योहार की तरह है। 25 दिसंबर को महामना मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है। वाजपेयी की जयंती को देश सुशासन दिवस के रूप में मना रहा है। उन्होंने कहा कि आज के इस पवित्र अवसर पर पंडित मदनमोहन मालवीय संपूर्ण वाङ्मय का लोकार्पण होना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। ये संपूर्ण वाङ्मय महामना के विचारों, आदर्शों और उनके जीवन से हमारी युवा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को परिचित कराने का सशक्त माध्यम बनेगा।

मेरी सरकार के कार्यों में मालवीय के विचारों की महक
उन्होंने कहा कि महामना मालवीय देश के लिए बड़ी से बड़ी ताकत से टकराए। मुश्किल से मुश्किल समय में भी महामना ने देश के लिए संभावनाओं के नए बीज बोए। आज उन्हीं के पदचिह्नों पर चलकर भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाकर विरासत पर गर्व करता हुआ आगे बढ़ रहा है। मेरी सरकार के कार्यों में मालवीय के विचारों की महक मिलेगी। कारण यह है कि महामना भी जिस भूमिका में रहे, उन्होंने ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा। मेरी सरकार भी राष्ट्र को सर्वोपरि रखकर ही हर निर्णय लेती है।

75 साल तक करना पड़ा इंतजार
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व की कई संस्थाओं का निर्माता बन रहा है। ये संस्थान, ये संस्थाएं 21वीं सदी के भारत ही नहीं बल्कि 21वीं सदी के विश्व को नई दिशा देने का काम करेंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात का दु:ख है कि इन सब कार्यों के लिए 75 साल तक इंतजार करना पड़ा। अपनी सरकार के कार्यों और अनेक योजनाओं की झलक प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि गुड गवर्नेंस ही हमारी सरकार की पहचान है। हमें इस बात का संतोष है कि हमने इस अवधारणा को तोड़ दिया है कि घपलों-घोटालों के बिना सरकारें नहीं चलाई जा सकतीं। सोच और अप्रोच बदले तो परिणाम आएंगे ही। मुझे विश्वास है कि शासन की सोच में आया यह बदलाव समाज की सोच को भी बदलेगा और तभी हमारा राष्ट्र विकसित होकर बुलंदियों को छुएगा।

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वाङ्मय के प्रधान संपादक रामबहादुर राय ने कहा कि साल 2023 ‘मोदी की गारंटी’ और ‘महामना का वाङ्मय’ लोकार्पण के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने वाङ्मय के 11 खंडों के प्रकाशन में सहयोग के लिए भारत सरकार के प्रशासन विभाग और सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि महामना मालवीय पर बहुत कुछ लिखा गया है पर महामना ने जो कुछ भी लिखा, उसे दस्तावेज की तरह प्रस्तुत करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इसमें महामना के आधिकारिक लेख, भाषण, उनके पत्र आदि को जोड़कर 11 खंडों में 4000 पृष्ठों में जो सामग्री है, वह आधिकारिक दस्तावेज है।

वाङ्मय के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराने वालों का आभार प्रकट करते हुए प्रधान संपादक ने बताया कि महामना मालवीय की निजी डायरी और अन्य सामग्री देश और विदेश से अनेक लोगों ने अपने निजी संग्रहों से उपलब्ध कराई है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को स्वाधीनता आंदोलन को संपूर्णता में समझना है, स्वराज और उसके सपने को अगर समझना है तो महामना के वाङ्मय में से उसे समझ में आएगा कि स्वराज का सपना क्या था।

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