मुंबई के माहिम में टकनदास कटारिया और वीर सावरकर रोड को जोड़नेवाली जगह के पास बने पौराणिक दत्त मंदिर को तोड़ने की साजिश रचे जाने की चर्चा पिछले दो महीने से गरम थी। इस बारे में कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने वीडियो भी वायरल किए थे। उसके बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और श्रद्धालुओं ने इसे बचाने की मुहिम शुरू की। आखिरकार इस मंदिर को सुरक्षित मानते हुए मुंबई महानगरपालिका के अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर की सीढ़ी को छोड़कर और किसी भी भाग को तोड़ने की जरुरत नहीं है। मंदिर को तोड़ने की साजिश नाकाम हो जाने और मंदिर को पूरी तरह सुरक्षित बताए जाने से गुरुदेव दत्त के भक्त और श्रद्धालुओ में खुशी की लहर है।
होटल व्यवसायी की लगी थी नजर
क्रांतिकारियों के प्रेरणास्रोत और महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर और दानवीर भागोजी किर ने 1931 में रत्नागिरी में पतीत पावन मंदिर की स्थापना की थी। उसके बाद उन्होंने मुंबई के माहिम में टी.एच. कटारिया मार्ग पर 1932 में गुररुदेव दत्त मंदिर की स्थापना की। इस तीन मंजले मंदिर का निर्माण नामचीन भवन निर्माता शापुरजी पालनजी ने किया। लेकिन इस मंदिर पर पास में ही स्थित स्टेट्स होटल के मालिक की नजर लग गई। वह उस पर कब्जा करने की कोशिश में जुट गया। उसने मंदिर की जगह पर दावा करते हुए महानगरपालिका के पास अपनी रिपोर्ट पेश की। अपनी रिपोर्ट में उसने मंदिर को धोखादायक बताते हुए उसे तोड़ने की इजाजत मांगी।
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निरीक्षण के बाद अधिकारियों ने पेश की रिपोर्ट
इस बारे में जानकारी मिलने पर मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों और श्रद्धालुओं ने महानगरपालिका के जी- उत्तर विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की। अधिकारियों ने उन्हें मंदिर की स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। उसके बाद ट्रस्ट की ओर से मंदिर की स्ट्रक्चरल रिपोर्ट जी-उत्तर विभाग के कार्यालय में उपप्रमुख अभियंता ( इमारत प्रस्ताव) के समक्ष प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट देखने के बाद मनपा अधिकारियों ने 22 जनवरी को मंदिर का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मंदिर को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए सिर्फ सीढ़ी के तोड़कर निर्मित करने की जरुरत बताई।
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मंदिर को बचाने में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
गुरुदेव दत्त मंदिर को टूटने से बचाने में स्थानीय जन प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है। शिवसेना के स्थानीय विधायक सदा सरवणकर ने इसके लिए काफी मेहनत की। इसे लेकर 22 जनवरी को मनपा के महापौर सभागृह में अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सरवणकर ने काफी सकारात्मक भूमिका निभाई। इस बैठक में अधिकारियों ने कहा कि मंदिर तोड़ने की जरुरत नहीं है। इस वक्त स्थानीय नगरसेविका व सभागृह नेता विशाखा राउत भी उपस्थित थीं।