केंद्र ने फैसला किया है कि अगर किसी कोरोना मरीज के संपर्क में आने वाला व्यक्ति हाई रिस्क ग्रुप में नहीं है तो कोरोना टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोरोना परीक्षण के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोरोना के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए भी कोरोना परीक्षण अनिवार्य है, लेकिन यदि रोगी बुजुर्ग या गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं है, तो अंतरराज्यीय यात्रा करने वालों के लिए कोरोना परीक्षण अनिवार्य नहीं है।
पहले के दिशानिर्देश
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण पाए जाने पर सातवें दिन मरीजों को अस्पताल से छुट्टी देने का दिशा-निर्देश जारी किया था। यदि रोगी को संक्रमित होने के बाद लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आता है, तो उसे बिना परीक्षण किए घर से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है।
लक्षणों पर नजर रखना जरुरी
मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद अगले सात दिनों तक उसके लक्षणों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और घर रहते हुए भी मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि घर से निकलने के बाद बुखार, खांसी या सांस लेने में कठिनाई जैसे हल्के या गंभीर लक्षण दिखाई दें तो रोगी को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। निर्देशों में कहा गया है कि मध्यम लक्षण वाले मरीजों को लगातार तीन दिनों तक रक्त में ऑक्सीजन का स्तर 93 या उससे अधिक होने पर घर से बाहर निकलना चाहिए।
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ऐसे मरीजों का फैसला डॉक्टर करेंगे
एचआईवी, कैंसर और अंग प्रत्यारोपण जैसी गंभीर जटिलताओं के इतिहास वाले कोरोना रोगियों को लेकर निर्णय पूरी तरह से उनके डॉक्टरों पर निर्भर है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जो मरीज स्थिर स्थिति में हैं, उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं है और ऑक्सीजन का स्तर स्थिर है, साथ ही कृत्रिम श्वसन के बिना उस स्तर को बने रहने पर वे डॉक्टर की सलाह पर घर पर घर जा सकते हैं।