महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने राज्य के सभी माध्यमों के सरकारी और निजी स्कूलों में 5वीं से 10वीं कक्षा तक मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग ने 30 अगस्त को पूर्व के सरकारी आदेश में संशोधन करते हुए यह नया जीआर जारी किया है।
जीआर में क्या है?
इसी शैक्षणिक वर्ष से राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में मराठी विषय पढ़ाने के आदेश जारी किए गए थे। आदेश में कक्षा 5वीं से 10वीं तक के छात्रों को मराठी विषय (द्वितीय) पढ़ाने के संबंध में उल्लेख किया गया था। इसमें मराठी विषय को अनिवार्य होने का जिक्र नहीं था। इसलिए कई स्कूलों ने सरकारी आदेश का फायदा उठाते हुए मराठी को दूसरे स्थान पर पढ़ाना शुरू कर दिया।
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इसलिए किया गया अनिवार्य
शिक्षा विभाग ने गौर किया कि मराठी भाषा को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। इसलिए उसने पिछले जीआर में संशोधन किया और उल्लेख किया कि मराठी विषय अनिवार्य है। नतीजतन, मराठी सभी माध्यमों के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अनिवार्य विषय हो गया है।
नहीं तो भरना होगा जुर्माना
नए जीआर के कारण राज्य के सभी निजी अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भाषा के स्कूलों में मराठी विषय अनिवार्य होगा। मराठी विषय को अनिवार्य करने वाले इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर स्कूल प्रबंधन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।