उत्तर प्रदेश में योगी राज में पत्रकारों के भी अच्छे दिन आए हैं। विषम आर्थिक स्थितिग्रस्त या रुग्ण साहित्यकारों के लिए साहित्यकार कल्याण कोष योजना सेहतमंद साबित होगी। अब साहित्यकार आर्थिक व शारीरिक रूप से सशक्त होंगे। इसके लिए उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, साहित्यकार कल्याण कोष योजनांतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों को चिकित्सा के लिए 50 हजार रुपये आर्थिक सहायता प्रदान किया जाएगा। साथ ही रचनाकारों को भी पाण्डुलिपि मुद्रण के लिए प्रकाशन अनुदान योजनांतर्गत अनुदान मिलेगा।
चिकित्सा के लिए मिलेंगे 50 हजार रुपए
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि साहित्यकार कल्याण कोष योजनांतर्गत विषम आर्थिक स्थितिग्रस्त या रुग्ण साहित्यकारों को जिनकी वार्षिक आय (समस्त स्रोतों से) पांच लाख रुपये तक है, उन्हें अधिकतम 50 हजार रुपये चिकित्सा के लिए आर्थिक सहायता प्रदान किया जाएगा। साथ ही रचनाकारों, जिनकी वार्षिक आय (समस्त स्रोतों से ) पांच लाख रुपये तक है, को भी पाण्डुलिपि मुद्रण (पुस्तक अधिकतम 200 पृष्ठों की हो) के लिए प्रकाशन अनुदान योजनांतर्गत अनुदान मिलेगा। इसके लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। प्रकाशन अनुदान योजनांतर्गत आवेदन के साथ पाण्डुलिपि संलग्न करना अनिवार्य है। प्रस्तुत पाण्डुलिपि वापस नहीं की जाएगी।
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जानकारी के लिए ली जा सकती है वेबसाइट की मदद
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निदेशक ने बताया कि दोनों योजनाओं की नियमावली एवं आवेदन पत्र का प्रारूप संस्थान कार्यालय से किसी कार्य दिवस में प्राप्त किया जा सकता है। योजनाओं के विवरण एवं प्रार्थना पत्र का प्रारूप संस्थान की वेबसाईट http://www.uphindisansthan.in पर भी उपलब्ध है। संस्थान में प्रार्थना पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 21 जुलाई है।