International Women’s Day: रेलवे में सुरक्षा, संचालन और नेतृत्व की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर रही, जानिये कुल कितनी महिलाएं हैं कार्यरत

भारतीय रेल ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को भव्यता, उत्साह और गौरव के साथ मनाते हुए महिला सशक्तीकरण की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को और सशक्त किया।

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International Women’s Day: भारतीय रेल ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को भव्यता, उत्साह और गौरव के साथ मनाते हुए महिला सशक्तीकरण की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को और सशक्त किया। रेलवे ने पूरे देश में विभिन्न प्रेरणादायक कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिसमें महिला कर्मचारियों की भूमिका, उनकी कड़ी मेहनत और उपलब्धियों का सम्मान किया गया। महिला लोको पायलटों द्वारा ट्रेनों का संचालन हो या स्टेशन प्रबंधन, टिकट काउंटर, टिकट निरीक्षण,अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल, इंजीनियरिंग और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की तैनाती- भारतीय रेल की नारी शक्ति ने हर क्षेत्र में अपनी दक्षता और नेतृत्व क्षमता को सिद्ध किया।

रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने 8 मार्च को कहा कि रेलवे अपने ऑपरेशन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। ऑल-वुमन ट्रेनों, महिला प्रबंधन वाले स्टेशनों और विविध कार्यक्रमों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि महिलाएं रेलवे के हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएं। भारतीय रेल के कुल 12 लाख 30 हजार कर्मचारियों में से 1 लाख 13 हजार नारी शक्ति शामिल हैं। वर्तमान में 2000 से अधिक लोको पायलट, करीब 1900 महिला स्टेशन मैनेजर भारतीय रेल में सेवा दे रहीं हैं।

महिलाओं की सशक्त भूमिका और नेतृत्व क्षमता का मिला परिचय
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित तमात कार्यक्रमों ने भारतीय रेल में महिलाओं की सशक्त भूमिका और नेतृत्व क्षमता को दर्शाया। यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।

ऑल-वुमन ट्रेनों का संचालन
इस अवसर पर कई ट्रेनों को ऑस वुमन स्टाफ द्वारा संचालित किया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से सांई नगर शिरडी वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन पूरी तरह से महिला कर्मचारियों ने किया। वहीं दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से ऑल वुमन फ्रेट ट्रेन चलाई गई। बेंगलुरु डिवीजन से केएसआर बेंगलुरु-मैसूरु मालगुडी एक्सप्रेस और मैसूर-जयपुर एक्सप्रेस भी पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित की गईं। भोपाल-बिलासपुर एक्सप्रेस और झांसी मंडल में बुंदेलखंड एक्सप्रेस का संचालन भी महिला कर्मियों ने किया।

स्टेशन संचालन में महिला कर्मचारियों की भागीदारी
सियालदह स्टेशन पर ‘मातृभूमि लोकल’ (लेडीज़ स्पेशल ईएमयू) ट्रेन का संचालन महिलाओं द्वारा किया गया। वहीं गोरखपुर जंक्शन का संपूर्ण प्रबंधन महिलाओं ने संभाला। महाराष्ट्र के माटूंगा और राजस्थान के गांधीनगर रेलवे स्टेशन की कमान भी नारी शक्ति के जिम्मे रही। इसी कड़ी में नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे जोन के अलिपुरद्वार मंडल के कूच बिहार रेलवे स्टेशन (सीओबी) को पूरी तरह से महिलाओं के नेतृत्व में संचालित किए जाने की घोषणा की गई है।

महिला कर्मचारियों का सम्मान
विभिन्न रेलवे जोनों में महिला लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर, टिकट चेकिंग स्टाफ और अन्य महिला कर्मचारियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। एक ओर जहां उत्तर रेलवे और दक्षिण रेलवे में विशेष सम्मान समारोह आयोजित किए गए, जहां महिला कर्मचारियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। वहीं पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर, भोपाल और कोटा मंडलों में महिला कर्मचारियों को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। जागरुकता और स्वास्थ कार्यक्रमों की कड़ी में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) चेन्नई में क्विज प्रतियोगिता, योग सत्र और मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साथ ही पश्चिम रेलवे ने ‘नथिंग इज इम्पॉसिबल’ थीम पर विशेष पॉडकास्ट एपिसोड जारी किया, जिसमें एशिया की पहली महिला मोटरवुमन की प्रेरणादायक यात्रा साझा की गई। ईस्ट कोस्ट रेलवे ने महिलाओं के लिए योग सत्र और वेलनेस काउंसलिंग जैसे आयोजन किए गए। देश के विभन्न रेलवे स्टेशनों को महिलाओं के सम्मान में विशेष लाइटों से सजाया भी गया है।

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महिला कर्मचारियों के लिए विशेष पहल
भारतीय रेल ने महिला हेल्प डेस्क, निगरानी प्रणाली और सुरक्षा सुविधाओं को और मजबूत करने की घोषणा की। कोटा मंडल में आत्मरक्षा और वित्तीय साक्षरता कार्यशालाएं आयोजित की गईं। रतलाम मंडल में साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। वहीं जबलपुर मंडल में ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग कैंप लगाया गया, जिसमें 200 से अधिक महिलाओं की जांच की गई।

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