चंद्रमा पर ‘चंद्रयान-3’ की सफल लैंडिंग के कारण भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया की चौथी अंतरिक्ष शक्ति बन गया है। ‘चंद्रयान-3’ की सफलता ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है और इस ऐतिहासिक घटना पर हर भारतीय को गर्व होगा। यह देश के वैज्ञानिकों, तकनीशियनों, शोधकर्ताओं और देशवासियों के अथक प्रयासों का परिणाम है। ‘चंद्रयान-3’ मिशन में मुंबई, पुणे, सांगली, जलगांव, बुलदाना, वालचंदनगर, जुन्नार और राज्य के अन्य शहरों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने ‘चंद्रयान-3’ मिशन में योगदान देने वाले इसरो वैज्ञानिकों, तकनीशियनों, अधिकारियों और देशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि यह सभी देशवासियों की एकजुटता से मिली सफलता है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने विश्वास जताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
भारत दशकों से अंतरिक्ष में महाशक्ति
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि भारत दशकों से अंतरिक्ष में महाशक्ति के रूप में काम कर रहा है। आज के चंद्र मिशन की सफलता ने इस पर मुहर लगा दी है। इस अभियान को बहुत ही कम लागत पर योजनाबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया गया। इसरो के वैज्ञानिकों ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है।
चंद्रयान-3: चंद्रमा पर भारत का परचम, इसरो ने रचा इतिहास
महाराष्ट्र का योगदान
अजीत पवार ने बताया कि चंद्रयान 3 की सफलता में महाराष्ट्र ने भी योगदान दिया है। अंतरिक्ष यान के कुछ हिस्सों का निर्माण मुंबई में गोदरेज एयरोस्पेस में किया गया। रॉकेट के हिस्सों को सांगली में लेपित किया गया।। फ्लेक्स नोजल और बूस्टर का निर्माण पुणे की कंपनी में किया जाता था, जबकि एचडी नोजल का निर्माण जलगांव में किया जाता था। चंद्रयान के लिए बुलढाणा के खामगांव से चांदी और थर्मल कपड़े का उपयोग किया गया था। पुणे के दो वैज्ञानिकों ने अभियान में सीधे भाग लिया। इंदापुर की वालचंद इंडस्ट्रीज पिछले 50 वर्षों से हर ISRO मिशन में योगदान दे रही है। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी विश्वास जताया है कि ‘चंद्रयान-3’ के सफल मिशन में महाराष्ट्र का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।