एक राष्ट्र-एक हेल्पलाइन: संकट में फंसे बच्चों के लिए सरकार ने लिया बड़ा निर्णय

मंत्रालय के अनुसार सीआईएफ अपने 1,000 से अधिक इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से 568 जिलों, 135 रेलवे स्टेशनों और 11 बस स्टैंडों में चाइल्डलाइन सेवाएं प्रदान कर रहा है।

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एक राष्ट्र एक हेल्पलाइन की व्यापक सोच के एक हिस्से के तहत और दूसरे राष्ट्रीय मुख्य सचिवों के सम्मेलन के दौरान प्राथमिकता के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने महिला हेल्पलाइन और चाइल्ड हेल्पलाइन को ईआरएसएस-112 (आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली) के साथ जोड़ने का निर्णय लिया है।

इससे पहले इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) और इसके सहयोगी एनजीओ के जरिए मंत्रालय पूर्ववर्ती बाल संरक्षण सेवा (सीपीएस) योजना के तहत चाइल्डलाइन मंत्रालय इस 24×7 हेल्पलाइन चाइल्डलाइन 1098 सेवा का समर्थन कर रहा था। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ), चाइल्डलाइन के रूप में इस सेवा का प्रबंधन करने वाला ”मदर एनजीओ” था।

संकट में फंसे बच्चे के लिए किए गए कॉल
मंत्रालय के अनुसार सीआईएफ अपने 1,000 से अधिक इकाइयों के नेटवर्क के माध्यम से 568 जिलों, 135 रेलवे स्टेशनों और 11 बस स्टैंडों में चाइल्डलाइन सेवाएं प्रदान कर रहा है। संकट में फंसे बच्चे के लिए किए गए कॉल के लिए सीआईएफ के पास प्रतिक्रिया समय लगभग 60 मिनट है। हालांकि, मौजूदा प्रणाली में पुलिस, अग्निशमन, एम्बुलेंस जैसी अन्य सेवाओं के साथ अंतर-परिचालनीयता का अभाव है, जिससे संकट की स्थिति में बहुमूल्य समय की हानि होती है। इसके अलावा सीआईएफ नेटवर्क केवल 568 जिलों को कवर कर सका था। यानी वह लगभग 200 जिलों को चाइल्डलाइन के तहत शामिल नहीं कर पाया था।

ईआरएसएस-112 के साथ चाइल्ड हेल्पलाइन जोड़ने का निर्णय
इसे देखते हुए सरकार ने ईआरएसएस-112 के साथ चाइल्ड हेल्पलाइन को एकीकृत करने का निर्णय लिया है, जिससे जिम्मेदार और जवाबदेह प्रशासन के माध्यम से संकट में फंसे हुए बच्चों की देखभाल जिम्मेदारी उठाई जा सके।

अधिनियम 2015 में 2021 में संशोधन
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण)- अधिनियम 2015, जिसे 2021 में संशोधित किया गया है, उसके तहत सेवा वितरण संरचनाओं को मजबूत करने से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ईआरएसएस-112 के साथ तकनीकी एकीकरण से सूचना के सहज प्रवाह की शुरुआत होने की आशा है, जो जिले और राज्य राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के भीतर संकट में फंसे हुए बच्चों के प्रत्यावर्तन और पुनर्वासन में प्रभावी ढंग से सहायता करेगा।

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