भारत में 10 लाख लोगों में से एक व्यक्ति करता है अंगदान, चली जाती है ‘इतने’ लोगों की जान

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बिकानेर पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, इण्डियन रेडक्रॉस सोसायटी तथा मोहन फाउंडेशन, जयपुर के संयुक्त तत्वाधान में देहदान तथा अंगदान के लिए जागरूकता कार्यक्रम पशुचिकित्सा महाविद्यालय, बीकानेर के सभागार में शुक्रवार को आयोजित किया गया।

मुख्य अतिथि इंडियन रेडक्रास सोसाइटी के उपाध्यक्ष डॉ. तनवीर मालावत ने इस अवसर पर अंगदान की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि रक्तदान शिविरों की भांति अंगदान शिविरों के आयोजन की आवश्यकता है। अंगदान के लिए मात्र 0.16 प्रतिशत लोग ही अंगदान के लिए आगे आते है। अंगदान के लिये हमें सामाजिक सम्प्रदाय एवं धार्मिक मान्यताओं से उपर उठ कर लोगों को इस हेतु प्रेरित करने कि आवश्यकता है।

10 लाख लोगों में एक व्यक्ति करता है अंगदान
इंडियन रेडक्रास सोसाइटी, बीकानेर के सचिव विजय खत्री ने बताया अंगदान को महादान क्यों कहा गया है? इसमें लीविंग या मृत डोनर, जिसके परिवार की सहमति होती है वो व्यक्ति अपने हार्ट, लंग्स, किडनी, लीवर, पेनक्रियाज, इन्टसटाईन, क्रॉनिया, स्कीन, जोईन्टस बानमेरो आदि अंग जरूरतमंद व्यक्ति को देते हैं और कोई भी जिसके यह अंग खराब होते हैं वे इन्हें प्राप्त कर पुनः अपना जीवन सुरक्षित जीने लगते है। उन्होंने बताया कि भारत में 10 लाख लोगोें में से एक व्यक्ति अंगदान करता है। प्रतिवर्ष भारत में 5 लाख लोगों की मृत्यु अंगों के अभाव में होती है। 2 लाख अन्धता पीड़ितों में से 50 हजार लोगों क्रॉनिया मिल पाता है। 20 लाख किडनी की जरूरत है परन्तु करीब 1700 बीमार लोगों को ही उपलब्ध हो पाती है। हार्ट 147 लोगोें में एक को और 70 बीमार में से एक व्यक्ति को ही लीवर मिल पाता है।

1948 में बना कानून
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग की प्रो. डॉ. गरिमा खत्री ने शरीर दान के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि पुराणों के अनुसार महर्षि दधीचि ने अपने जीवित अवस्था में रहते अपनी अस्थियों को शस्त्र बनाने के लिए दान देने की सहमति प्रदान कर उदाहरण पेश किया। सन् 1948 से एनाटॉमिक एक्ट बनने पर कानूनी प्रक्रिया अपनाकर मेडिकल कॉलेजों को बॉडी मिलनी प्रारम्भ हुई। उन्होंने बताया मेडिकल के विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए मानव देह की अत्यन्त आवश्यकता रहती है। मृत शरीर का दान मृत्यु के उपरान्त 15 घंटे में किया जा सकता है। मेडिकल के 10 बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शव की आवश्यकता रहती है। बीकानेर मेडिकल कॉलेज में 250 विद्यार्थी हैं और वहीं ह्यूमन बॉडी 5-6 ही हैं। बॉडी डोनेशन की जागरूकता के लिये मेडीकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी व ई.एन.टी. सर्जन डॉ. राकेश रावत के प्रयासों से सरदार पटेल मेडिकल के पूर्व 5 छात्र रहे चिकित्सकों ने अपना देह दान किया। इस अवसर पर अंगदान एवं देहदान विषय पर पेंटिंग कम्पीटिशन एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है जिसकी संयोजक डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा है।

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