महाराष्ट्र के भारतीय जनता पार्टी के 12 विधायकों का निलंबन का मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में है। 11 जनवरी को इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने जो टिप्पणी की है, वह महाविकास आघाड़ी सरकार के लिए सबक की तरह है।
सर्वोच्च न्यायालय ने विधायकों के निलंबन पर अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि विधायकों का निलंबन 6 महीने से ज्यादा नहीं हो सकता। एक साल का निलंबन निष्कासन की तुलना में अधिक गंभीर सजा है। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से भाजपा के 12 निलंबित विधायकों को राहत मिलने की संभावना है और इस मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी।
यह है मामला
5 जुलाई, 2021 को विधान सभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया और 12 भाजपा विधायकों को कदाचार के आरोप में एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया। इसे भाजपा ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। ध्यान दें कि एक साल का निलंबन संविधान द्वारा सहमत पात्रता अवधि से अधिक है। जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 जनवरी को इस मामले की सुनवाई की।
संविधान का दिया हवाला
संबंधित विधायकों के साल भर के निलंबन के कारण पूरे साल विधानसभा में उनके निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं होगा। जनप्रतिनिधियों के निलंबन के मामले में निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व के लिए एक वैकल्पिक प्रणाली होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि एक साल का निलंबन संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के लिए बड़ी सजा है। न्यायालय ने इस तर्क दिया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक समय तक विधानसभा में प्रतिनिधित्व के बिना नहीं रह सकता है।