मुंबईः ‘अनबिलिएबल सावरकर’ थीम पर चित्र प्रदर्शनी का आयोजन

मुंबई स्थित स्वातंत्र्यवीर राष्ट्रीय स्मारक सावरकर में भगुर से अंडमान तक 'अनबिलिएबल सावरकर' थीम पर चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है।

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स्वातंत्र्यवीर राष्ट्रीय स्मारक सावरकर में भगुर से अंडमान तक ‘अनबिलिएबल सावरकर’ थीम पर योगेंद्र आर. पाटील के चित्रों की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। 24 फरवरी, 2023 को, स्वतंत्रता सेनानी सावरकर की पोती, असिलता सावरकर – राजे द्वारा सुबह 11 बजे प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे, जे.जे. एप्लाइड आर्ट्स कॉलेज के प्रो. डॉ. गजानन शेपल, ललित कला केंद्र के प्राचार्य, राजेंद्र महाजन, श्रेयस मेडिकल फाउंडेशन पचोरा के अध्यक्ष डॉ. जयंत पाटील और अंजलि गवली मौजूद थे। यह प्रदर्शनी 24 से 28 फरवरी तक लोगों के लिए खुली रहेगी।

प्रदर्शनी पर प्रतिक्रिया देते हुए योगेंद्र आर. पाटील ने कहा, “अपनी खराब जीवन शैली के कारण, मैं गंभीर शारीरिक परेशानी और मानसिक अस्थिरता से ग्रस्त हो गई। ऐसा लग रहा था मानो हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो, ऐसे सुन्न और भयानक समय में वीर सावरकर की कविता मेरे हाथ लगी। उसके बाद मैंने उनकी कई रचनाएं पढ़ीं। उस समय मैंने सोचा, मातृभूमि के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ काले पानी की सजा काटते-काटते वीर सावरकर के मन में अंडमान की उस भयानक कालकोठरी में अगले जन्म के बारे में क्या विचार आए होंगे? मैं सावरकर की अपार ऊर्जा के रहस्य से इतना प्रभावित हुआ कि उनके प्रति प्रेमवश मैं अंडमान चला गया और उनकी कोठरी में जाकर नतमस्तक हो गया। सावरकर की वह कोठरी मेरे लिए महातीर्थ बन गया और वहीं से मुझे सावरकर चित्रमाला बनाने की प्रेरणा मिली। उसके बाद मैंने इन सभी चित्रों को बनाया।” भागुर और मुंबई के बाद अब इस प्रदर्शनी को अंडमान तथा फिर लंदन में आयोजित करने की इच्छा चित्रकार योगेंद्र आर. पाटील ने व्यक्त की है।

मुख्य अतिथि भी इस चित्र प्रदर्शनी को देखकर भावविभोर हो गए। वीर सावरकर की पौत्री असिलता सावरकर-राजे ने कहा कि सावरकर प्रेमियों को इस प्रदर्शनी में आना चाहिए और इन सभी चित्रों के पीछे के उद्देश्य का अर्थ जानना चाहिए। उन्होंने पाटील को भविष्य में अंडमान में प्रदर्शनी के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।

स्वातंत्र्यवीर वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की कोषाध्यक्ष मंजिरी मराठे न् कहा कि अपने जीवन के सबसे कठिन दौर में योगेंद्र पाटील ने वीर सावरकर के साहित्य को पढ़कर प्रेरणा ली और नई शुरुआत की, उसी तरह सभी युवाओं को वीर सावरकर के विचारों को आत्मसात करना चाहिए। उन्होंने सभी से ‘माझी जन्मठेप’ पुस्तक पढ़ने की अपील की।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जे.जे. एप्लाइड आर्ट्स कॉलेज प्रो. डॉ. गजानन शेपाल ने कहा कि इस प्रदर्शनी का नाम अदम्य सावरकर होता तो और अच्छा होता। अंजलि गवली ने भी इस प्रदर्शनी को देखा और चित्रकार योगेंद्र पाटील के अगले आयोजनों के लिए शुभकामनाएं दीं।

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