सोशल मीडिया से शुरू हुई त्रिपुरा में मस्जिद में आग की खबर आतंक फैलाने की टूलकिट थी क्या अब इसका संदेह होने लगा है। इसमें कहीं की फोटो, कहीं और का वीडियो लगाकर समाज में विद्रोह प्रसारित करने का बड़ा षड्यंत्र था। कैसे? यह उन्हीं फोटो और वीडियो के माध्यम से उजागर हो रहा है।
त्रिपुरा के जरिये कैसे हिंदुओं को निशाना बनाया गया ये सबके सामने है। ये क्यों किया गया इसका खुलासा तो जांच के बाद सामने आएगा, लेकिन इसकी आंच त्रिपुरा से महाराष्ट्र तक पहुंच गई और हिंसा में एक ही समाज को निशाना बनाया गया। परिस्थिति तो यहां तक पहुंच गई कि, हिंदुओं के बचाव में जो लोग उतरे उन नेताओं पर महाराष्ट्र में कार्रवाई हो रही है।
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फर्जी थे फोटो और वीडियो
इस प्रकरण में एक अंग्रेजी निजी समाचार माध्यम ने सात फोटो की जांच की है, जो यह बताते हैं कि फर्जी फोटो के माध्यम से एक दुष्प्रचार किया गया।
⇒ एक फोटो में दिखाया गया है कि, दो लोग जली हुई पुस्तक लेकर जा रहे हैं, इसमें कैप्शन दिया गया था कि, हिंदुत्व के गुंडों ने कुरान की पुस्तक जला दी।
सच्चाई: यह फोटो दिल्ली में लगी एक आग की थी, जो जून महीने में एक शरणार्थी शिबिर में लगी थी।
⇒ दूसरी फोटो में एक इमारत की आग को दिखाया गया है, जिसमें कहा गया कि 16 मस्जिदों को जला दिया गया है।
सच्चाई: यह फोटो त्रिपुरा के अगरतला की थी, जिसमें सीपीएम कार्यालय में हुई तोड़फोड़ को दिखाया गया था।
⇒ एक मुस्तकीम आलम नामक शख्स ने फोटो साझा कि, जिसमें भाजपा के झंडे दिख रहे थे, इसका कैप्शन दिया, भगवा आतंकी बेछूट हैं।
सच्चाई: यह फोटो भी फर्जी साबित हुई, जिसमें कोलकाता में विश्व हिंदू परिषद की रैली की फोटो साझा की थी। इसका त्रिपुरा हिंसा से कोई संबंध नहीं था।
बता दें कि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने त्रिपुरा मस्जिद में तोड़फोड़ की घटना से इन्कार किया है। एक खबर प्रसारित की गई थी, जिसमें बताया गया था कि, त्रिपुरा के गोमती जिले के काक्राबान क्षेत्र में मस्जिद में तोड़फोड़ करके आग लगा दी गई है। लेकिन यह खबर भी झूठी साबित हुई। जिसमें सच्चाई को छुपाया गया था।
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