प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन राहत कोष (पीएम-केयर्स फंड) अधिनियम के तहत, चैरिटी ट्रस्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और इसमें प्राप्त राशि भारत के संचित कोष में नहीं जाती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर फंड को ‘राज्य’ घोषित करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र को अपनी स्थिति बताने का निर्देश दिया था।
पीएमओ ने रखा अपना पक्ष
प्रधान मंत्री कार्यालय के सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “चाहे कोई ट्रस्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत एक राज्य या अन्य प्राधिकरण हो या सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 2 (एच) के अर्थ में एक सार्वजनिक प्राधिकरण हो, इसमें निहित प्रावधान धारा 8 और उपखंड (ई) तथा (जे) विशेष रूप से, सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत तीसरे पक्ष की जानकारी के प्रकटीकरण की अनुमति नहीं देता है।
सरकार का नियंत्रण नहीं
यह जानकारी संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम-केयर्स फंड को ‘राज्य यानी सरकारी संपत्ति’ घोषित करने की मांग वाली याचिका के संबंध में दी गई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री या वित्त मंत्री जैसे ट्रस्टियों द्वारा स्थापित एक कोष है, लेकिन इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।
पूरी पारदर्शिता
श्रीवास्तव ने कोर्ट से कहा कि वे मानद आधार पर ट्रस्ट में काम करते हैं और ट्रस्ट पारदर्शी तरीके से काम करता है। भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा गठित पैनल के चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा इसकी निधियों का ऑडिट किया जाता है। श्रीवास्तव ने कहा, ‘पारदर्शिता लाने के लिए ऑडिट की गई रिपोर्ट ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की जाती है, जिसमें ट्रस्ट द्वारा प्राप्त धन के उपयोग का विवरण होता है। ट्रस्ट को सभी दान ऑनलाइन, चेक और डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से किए जाते हैं। प्राप्त राशि का ऑडिट किया जाता है और फंड के खर्च को वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाता है।’
सम्यक गंगवाल ने दायर की है याचिका
बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय के वकील सम्यक गंगवाल ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। पीएम-केयर फंड की स्थापना मार्च 2020 में प्रधानमंत्री द्वारा कोविड-19 महामारी के मद्देनजर लोगों की मदद करने के इरादे से की गई थी और इसमें बड़े पैमाने पर दान मिला है। दिसंबर 2020 में अपनी वेबसाइट पर पीएम-केयर फंड द्वारा जारी ट्रस्ट डीड की एक प्रति में कहा गया है कि यह संविधान या संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के अंतर्गत नहीं स्थापित किया गया है।