प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 फरवरी को कहा कि आदिवासी समाज को लेकर देश जिस गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए, आपको रास्ता मिल जाएगा।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय मंच पर जनजातीय संस्कृति को प्रकट करने के प्रयासों के तहत 16 फरवरी को यहां मेजर ध्यान चंद राष्ट्रीय स्टेडियम में ‘आदि महोत्सव’ का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने आदिवासी कारीगरों के साथ बातचीत करने के लिए विभिन्न स्टॉलों का दौरा किया और विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा स्थापित उनके हथकरघा, हस्तशिल्प और जनजातीय उत्पादों पर एक नजर डाली।
सबका साथ सबका विकास के दर्शन पर काम
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि 21वीं सदी का नया भारत ‘सबका साथ सबका विकास’ के दर्शन पर काम कर रहा है। सरकार उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है, जिनसे लंबे समय से संपर्क नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है और देश के हजारों गांव जो पहले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित थे, उन्हें 4जी कनेक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के युवा अब इंटरनेट और इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।
आदिवासी बच्चों की शिक्षा सरकार की प्राथमिकता
इसी संदर्भ में आगे प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी बच्चे देश के किसी भी कोने में हों, उनकी शिक्षा और उनका भविष्य भाजपा सरकार की प्राथमिकता है। 2004 से 2014 के बीच केवल 90 ‘एकलव्य स्कूल’ खोले गए, जबकि 2014 से 2022 तक हमारी सरकार ने देश भर में 500 से अधिक ‘एकलव्य स्कूल’ को मंजूरी दी। इनमें से 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है और एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं।
मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प
प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधाओं के कारण बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी प्रदान किया गया है। अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे।
युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर जोर
उन्होंने कहा कि आज सरकार का जोर जनजातीय आर्ट्स को प्रमोट करने, जनजातीय युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर भी है। इस बार के बजट में परांपरिक कारीगरों के लिए पीएम-विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना शुरु करने की घोषणा भी की गई है जो आदिवासी समुदायों के लिए वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण और विपणन सहायता प्रदान करेगी।
आदि महोत्सव को लेकर कही ये बात
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में आदिवासी समाज से जुड़े ‘आदि महोत्सव’ जैसे कार्यक्रम देश के लिए एक अभियान बन गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज को लेकर आज देश जिस गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ है।
आदिवासियों की परंपरा महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि आज भारत पूरी दुनिया के बड़े-बड़े मंचों पर जाता है, तो आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है। आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए आपको रास्ता मिल जाएगा।
जनजातीय समाज के उत्पादों की बढ़ रही है मांग
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम कैसे प्रकृति से संसाधन लेकर भी उसका संरक्षण कर सकते हैं, इसकी प्रेरणा हमें हमारे आदिवासी समाज से मिलती है। भारत के जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और ये विदेशों में निर्यात किए जा रहे हैं।