जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने अनंतनाग जिले के तुल्खान बिजबेहारा से कोडीन की 1715 बोतलें बरामद की हैं। ये बोतलें तलाशी के दौरान बरामद की गई हैं। मिली जानकारी के अनुसार ये बोतलें इस केंद्र शासित प्रदेश में आतंक फैलाने का षड्यंत्र कर रहे आंकवादियों के लिए मंगवाई गई थीं।
बता दें कि पहले पुलिस ने 15 कोडीन की बोतलों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर अनंतनाग जिले के तुल्खान बिजबेहारा से बाकी बोतलें भी बरामद की गईं।
इसलिए पीते हैं कोडीन
बताया जा रहा है कि शराब की दुकानों पर लोगों के साथ ही सुरक्षाकर्मियों की नजरों से बचने के लिए यहां के आतंकवादी जाने से बचते हैं। इस वजह से वे नशे के लिए तस्करी किया हुआ कोडिन पीते हैं।
Police party at Tulkhan crossing apprehended two persons in possession of 15 Codeine bottles. Interrogation led to the search at a location in Tulkhan Bijbehara (Anantnag district) from where 1715 bottles of Codeine were recovered: Jammu and Kashmir Police pic.twitter.com/gNs8zebCuS
— ANI (@ANI) April 7, 2021
दवा के रुप में किया जाता है उपयोग
शराब के आदी लोग अब नशे के लिए कोडीन पी रहे हैं। अफिम से कोडीन बनाया जाता है। कोडीनयुक्त सीरप एक-दो चमच पीने से दवा का काम करता है। लेकिन पूरी बोतल पी जाने पर यह शराब से भी ज्यादा नशा करता है। इसका उपयोग टीबी, दमा जैसी गंभीर बीमारियों में कफ सीरप की तरह किया जाता है।
ये भी पढ़ेंः कब होगा राजेश्वर का ‘अभिनंदन’?
अन्य तरह के अपराधी भी पीते हैं कोडीन
केवल आतंकवादी ही नहीं, अन्य तरह के अपराध करनेवाले लोगों के साथ शराबी भी इसका सेवन कई बार मजबूरी में करते हैं। शराब नहीं मिलने पर वे इसका सेवन कर अपने नशे की लत को पूरा करते हैं। इससे पहले कई मारे गए आतंकवादियों के ठिकानों से भी कोडीन की बोतलें बरामद की गई थीं।
ऐसे लोग तस्करी में शामिल
मिली जानकारी के अनुसार कोडीनयुक्त सीरप की तस्करी में ज्यादातर बिना लाइसेंस एक्सपोर्ट-इंपोर्ट करने वाले तस्कर शामिल हैं। बाजार में मात्र 5 से 10 प्रतिशत कोडीन वाले सीरप ही उपलब्ध हैं। हालांकि अधिकांश दुकानों ने इसे रखना बंद कर दिया गया है, लेकिन फिर भी कुछ विशेष दुकानों में यह उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए मनमाना दाम वसूला जाता है।
शराबबंदी वाले प्रदेशों में भारी मांग
इसका इस्तेमाल शराबबंदी वाले प्रदेशों जैसे बिहार, गुजरात, नागालैंड और मिजोरम आदि राज्यों में ज्यादा किया जाता है। शराब न मिलने पर नशे के आदी लोग इसे पीकर अपनी अवांछित जरुरतें पूरी करते हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर?
डॉक्टरों का कहना है कि कोडीन मे काफी नशा होता है। यह मानव शरीर में सेंट्रल नर्वस सिस्टम एक्टिंग ड्र्ग है। गंभीर खांसी, टीबी, दमा आदि बीमारियों में इसका उपयोग सीरप के रुप में किया जाता है। इसे शराब की जगह पीना काफी घातक है।