सत्ता आती-जाती रहती है,लेकिन राष्ट्र हमेशा जिंदा रहता हैः पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के आत्मार्पण दिवस पर 26 फरवरी को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की जम्मू में पहली शाखा की स्थापना की गई।

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देश और राष्ट्र में अंतर होता है। देश में सत्ता आती-जाती रहती है लेकिन राष्ट्र हमेशा जिंदा रहता है। देश मात्र जमीन का एक हिस्सा होता है, लेकिन राष्ट्र समाज, संस्कृति और धर्म से चलता है। इससे लोगो की भावनाएं जुड़ी होती हैं। जबकि देश को सरकार चलाती है। लोग जिस दिन इस अंतर को समझ जाएंगे, उस दिन सभी समस्याओं का समाधान मिल जाएगा। यह बात हिंदू विचारक और राजनीतिक समीक्षक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कही।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के आत्मार्पण दिवस पर 26 फरवरी को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की जम्मू में पहली शाखा की स्थापना की गई। इस मौके पर जम्मू में ‘सिंधु नदी से सिंधु सागर तक स्वातंत्र्यवीरों की बात’ विषय पर चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ इस चर्चासत्र में अपने विचार प्रकट कर रहे थे।

नौ राज्यों में हिंदुओं को मायनॉरिटी में बताना साजिश
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि देश के कुल नौ राज्यों में हिंदुओं को मायनॉरिटी में बताया गया है। यह भी एक साजिश है। अब यह दबाव डाला जा रहा है कि इस बारे में आधिकारिक घोषणा की जाए। इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है। सबसे बड़ी बात है कि हिंदू इससे बहुत खुश हो रहे हैं कि उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन उन्हें मालूम नहीं कि इससे एक-एक कर अन्य राज्य भी उनके हाथ से निकल जाएंगे।

सेक्युलर शब्द का अर्थ
कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 1976 में सत्ता हाथ से बाहर जाते देख तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेक्युलर शब्द का इस्तेमाल किया। इसका हिंदी में क्या मतलब हो सकता है, इस बारे में विचारक एल.एम. सिंघवी ने काफी सोच-विचार करने के बाद इसका अर्थ पंथनिरपेक्ष बताया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने जान-बूझकर इसका अर्थ धर्मनिरपेक्ष निकाला। इसके बाद देश के बहुसंख्य़ हिंदुओं का अस्तित्व खत्म खतरे में पड़ गया। वे खुद को धर्मनिरपेक्ष समझकर खुश होने लगे।

मुसलमान और ईसाई नहींं माने
उन्होंने कहा कि संविधान में इस शब्द को शामिल करने के बाद हिंदू तो मान गए, लेकिन मुसलमान और ईसाई इसे मानने को तैयार नहीं हैं। उनके लिए उनका धर्म महत्वपूर्ण है। वे आज भी अपने मजहब को महत्वपूर्ण मानते हैं लेकिन हिंदुओं से अपेक्षा करते हैं कि वे धर्मनिरपेक्ष रहें।

मूल संविधान में सेक्युलर शब्द नहीं
उन्होंने कहा कि 1948 में जब संविधान को लेकर चर्चा चल रही थी तब डॉ. बाबा साहब आंबेडकर ने संविधान में सेक्युलर शब्द रखे जाने का विरोध किया था। बाद में इंदिरा गांधी ने रुस के दबाव में इस शब्द को संविधान में लाया।
इस तरह विदेशी हस्तक्षेप को हमने स्वीकार किया और अपने ही पांव में कुल्हाड़ी मार ली। सच तो यह है कि भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है। इसका मतलब ड्यूटी, कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने हिदू धर्म को काफी नुकसान पहुंचाया।

इसलिए किया गया अल्पसंख्यक आयोग का गठन
तत्कालीन सरकार ने 1993 में बाबरी ढांचा विध्वंस होने के बाद नाराज मुसलमानों को खुश करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग बनाया। इसमें मुसलान, ईसाई,जैन, बौद्ध को अल्पसंख्यक बता दिया गया। इससे मुसलमानों को सरकारी सुविधाएं मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया और इस तरह बौद्ध व जैन समाज के लोग हिंदू से अलग कर दिए गए।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के वचन को हमें निभाना हैः रणजीत सावरकर
स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पौत्र रणजीत सावरकर ने कहा कि चापेकर बंधु को रैंड की हत्या करने के बाद फंसा दिया गया। उस समय वीर सावरकर ने वचन दिया था कि तुम्हारे काम को मैं आगे बढ़ाऊंगा। आज उसी तरह वीर सावरकर के वचन को हमें निभाना है। स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों ने दिंदुओं को विभिन्न जातियों में बांट दिया। उन सबको एक साथ लाने के लिए वीर सावरकर ने हिंदुत्व  की  नई परिभाषा गढ़ी। इसे लेकर कांग्रेस को उनसे नाराजगी है। नहीं तो वह हर जगह वीर सावरकर की प्रतिमा लगवाती।

इस देश को पुण्यभूमि माननेवाला हर व्यक्ति हिंदू है
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू शब्द की नई व्याख्या की और सागर को भी सिंधु की उपमा दी। उन्होंने कहा कि सिंधु सागर से सिंधु नदी तक जो भी इस देश को अपनी पुण्यभूमि मानता है वो हिंदू है।

गांधी ने पाकिस्तान को दिलाए 55 करोड़ रुपए
रणजीत सावरकर ने कहा कि देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान के पास मात्र 22 करोड़ रुपए थे। गांधी ने उसे 55 करोड़ रुपए दिलाए। उसके बल पर पाकिस्तान ने एक वर्ष तक भारत के खिलाफ छद्म युद्ध चलाया और कश्मीर के बड़े भाग पर कब्जा जमा लिया। उसके बाद ही पाक अधिकृत कश्मीर बना।

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