केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr. Jitendra Singh) जो कि एक प्रसिद्ध मधुमेह रोग विशेषज्ञ भी हैं, ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल सेवा टाइप 2 मधुमेह (डायबिटीज) मेलिटस जैसी जीवनशैली संबंधी विकारों से लेकर कोविड जैसे संक्रामक रोगों तक कई बीमारियों के विरुद्ध एक प्रभावी निवारक उपकरण बन सकती है।
नई दिल्ली में 24 अगस्त को तीसरे स्वास्थ्य देखभाल के नेताओं के सम्मेलन, हेल्थकेयर लीडर्स समिट (Healthcare Leaders Summit) में “सुलभ और लागत प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल हेतु स्वस्थ भारत के लिए भारत का डिजिटल रोडमैप” विषय पर संबोधित कर रहे थे।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल समय की मांग
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में रोगों की रोकथाम पर ध्यान देने के साथ ही डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान दिया जाएगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं (health services) के लिए विशेषरूप से स्वास्थ्य सेवाओं में शहरी-ग्रामीण द्वंद्व को समाप्त करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को अपनाना समय की मांग है। उन्होंने कहा, “इसलिए मुझे लगता है, इस क्षेत्र में बड़ा एकीकरण न केवल प्रौद्योगिकी, डिजिटल पक्ष और वित्तीय संसाधनों के साथ-साथ मानव संसाधनों को साझा करने में सहायता करता है, बल्कि यह ऊर्जा के एक बड़े पारस्परिक उत्तेजक के रूप में भी काम करता है, इससे सकारात्मक भावनाओं का प्रवाह होता है और एक-दूसरे से सीखने के साथ-साथ आपके द्वारा उठाए गए लक्ष्य चाहे वह स्वास्थ्य या किसी अन्य क्षेत्र में नवाचार हो, के प्रति अपनेपन और स्वामित्व की भावना भी आती है।”
उन्होंने कहा, “हम सामर्थ्य, समावेशिता और पहुंच पर समर्पित रूप से ध्यान देकर शहरी और ग्रामीण के बीच की असमानताओं को पाटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लाभ उठा सकते हैं।”
पीएम मोदी के प्रयास से मिली स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता
स्वास्थ्य सेवा को दी गई उच्च प्राथमिकता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह प्रधानमन्त्री मोदी की व्यक्तिगत रुचि और हस्तक्षेप के कारण हुआ था कि दो वर्षों के भीतर, भारत ने न केवल छोटे देशों की तुलना में कोविड महामारी को सफलतापूर्वक प्रबंधित किया, बल्कि हम डीएनए वैक्सीन लाने और इसे अन्य देशों को उपलब्ध कराने में भी सफल रहे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में देश के समग्र स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में प्रगति की है, और “पिछली आधी सदी या उसके आसपास पूरे रोग स्पेक्ट्रम के साथ-साथ हमारे लिए उपलब्ध चिकित्सीय और निवारक उपायों- प्रविधियों के विकास में भी बदलाव आया है।”
बीमारियों का हुआ वैश्वीकरण
उन्होंने कहा कि अस्सी के दशक के बाद, वैश्वीकरण या बीमारियों का तथाकथित ‘लोकतंत्रीकरण’ हुआ, इसलिए हमें जीवनशैली संबंधी रोग, हृदय से जुड़े रोग आदि भी होने लगे और इसके साथ ही जीवन प्रत्याशा में भी बदलाव आया और अब कि जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेन्सी) भी 70 वर्ष के आस-पास हो गई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 9 वर्षों से अधिक के समय में प्रधानमंत्री मोदी की परिकल्पना के बाद, स्वास्थ्य सेवा को सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने कहा कि विश्व में आयुष्मान भारत जैसी अपनी तरह की पहली स्वास्थ्य बीमा योजना लाकर हमारा देश अब स्वास्थ्य सेवा वितरण के क्षेत्रीय और सीमित खंडित दृष्टिकोण से व्यापक आवश्यकता-आधारित स्वास्थ्य सेवा की ओर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि यह संभवतः विश्व की एकमात्र ऐसी स्वास्थ्य बीमा योजना है जो पहले से विद्यमानरोग के लिए भी बीमा सुरक्षा (कवर) लेने का विकल्प प्रदान करती है, उदाहरण के लिए, यदि आज किसी व्यक्ति को कैंसर होने का पता चलता है, तो वह अपने उपचार के लिए वित्तीय सहायता लेने हेतु इसके बाद भी अपना बीमा करा सकता है।
वैश्विक चुनौतियों का सामना करने विज्ञान और प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण उपकरण
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि समाज की अभी तक अपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही आज हम जिन वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें संबोधित करने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण उपकरण हैं। उन्होंने आगे कहा, “अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) विधेयक विभिन्न कंपनियों को अनुसंधान और विकास में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगा। सरकार एक अनूठी सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) इकाई की योजना बना रही है, जिसके लिए अनुसंधान निधि का 36,000 करोड़ रुपये निजी क्षेत्र से आना है, जबकि सरकार उद्योग जगत की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अपनी और से 14,000 करोड़ रुपये लगाएगी।”
मंत्री ने कहा कि चूंकि भारत दुनिया में मधुमेह अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी है, इसलिए युवाओं और गर्भवती महिलाओं में मधुमेह की रोकथाम करना एक प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे देश में जहां 70 प्रतिशत जनसंख्या 40 वर्ष से कम आयु की है और आज के युवा भारत@2047 के प्रधान नागरिक बनने जा रहे हैं, तब निवारक स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक सामूहिक जांच (स्क्रीनिंग) हमारी अर्थव्यवस्था को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा निर्धारित विकास की अपेक्षित दर प्राप्त करने में सहायक बनेगी।
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