Prayagraj में संगम के तट पर और पूरे शहर में भारत की सनातन संस्कृति के होर्डिंग्स दिखाई दे रहे हैं…. प्रयागराज के संगम तट पर 12 वर्षों के अंतराल पर कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज के अतिरिक्त हरिद्वार, उज्जैन और महाराष्ट्र के नासिक में कुंभ मेले का आयोजन होता है। लेकिन प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर महाकुंभ का अलग धार्मिक महत्व है।
महाकुंभ की तैयारी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाकुंभ को सफल बनाने के लिए कमर कस ली है। मेले में श्रद्धालुओं की भारी संख्या में आने के अनुमान को देखते हुए इस बार मेले का क्षेत्र बढ़ाया गया है। कुंभ मेले का इलाका 4000 हेक्टेयर होगा जबकि पिछली बार कुंभ मेला 3200 हेक्टेयर में लगा था। पीने के पानी के लिए 1250 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई गई है। बिजली विभाग ने कुंभ मेले के लिए सब स्टेशन बनाया है। और पूरे मेले क्षेत्र को रोशनी से जगमग करने के लिए 67 000 एलईडी लाइट लगाई जा रही है। 1 लाख 50 हजार शौचालय बनाए गए हैं। मेला क्षेत्र में 30 अस्थाई पुल बनाए गए हैं। इतना ही नहीं 488 किलोमीटर लंबी सड़क मेला क्षेत्र में बनाई गई है।
अखिलेश सरकार वर्सेज योगी सरकार
समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव के नेतृत्व सरकार के समय में भी कुंभ मेला लगा था। लेकिन कुंभ मेले में वित्तीय अनियमितता के आरोप कैग की रिपोर्ट में लगे थे। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने कुंभ के आयोजन के लिए 1,152.2 करोड़ रुपए कुंभ मेला समिति को जारी किए गए। लेकिन खर्च 134. 83 करोड रुपए ही खर्च हुए थे। कैग की रिपोर्ट में अखिलेश सरकार की पूरी खिंचाई की गई थी। लेकिन योगी सरकार कुंभ मेले के आयोजन में साधु संतों के साथ विमर्श करके काम कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार कुंभ मेले की तैयारी पर नजर लगाए हुए हैं। साधु संतों के साथ लगातार चर्चा कर रहे है । 7 दिसंबर को प्रयागराज में अखाड़ा परिषद के संतों ने योगी के सामने गंगाजल की स्वच्छता का मसला उठाया था। जिस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।