कोरोना काल में हर जगह कोरोना और क्वारंटाइन की चर्चा है। महाराष्ट्र सरकार भी इस बार दिवाली के मौके पर पटाखों को क्ववारंटाइन करने पर विचार कर रही है। यानी इस दिवाली पर पटाखों का दिवाला निकल सकता है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के समक्ष यह प्रस्ताव पेश करेंगे।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं पटाखे
टोपे कोरोना काल में गठित राज्य टास्क फोर्स व डेथ ऑडिट कमिटी की बैठक में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया को बताया कि पटाखे वैसे भी खतरनाक हैं और उसके धुएं से सांस की तरह-तरह की बीमारियां फैलती हैं। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए पटाखे फोड़ना और एक जगह इकट्ठा होकर दिवाली मनाना खतरनाक है, इसलिए वे चाहते हैं कि इस बार महाराष्ट्र् में दिवाली पटाखा मुक्त हो।
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कोरोना की दूसरी लहर की तैयारी की ली जानकारी
कोरोना महामारी से मृत्यु दर में कमी लाने और इसकी दूसरी लहर आने से पूर्व की तैयारी की जानकारी लेने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ प्रदीप व्यास, राज्य टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. संजय ओक, डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष डॉ.अविनाश सुपे, राज्य महमारी रोग के नियंत्रण सेल के अध्यक्ष डॉ. सुभाष सालुंके, स्वास्थ्य निदेशक डॉ. साधना तायडे,डॉ. अर्चना पाटील आदि अधिकारी मौजूद थे।
डेथ ऑडिट कमिटी सौंपेगी रिपोर्ट
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने जिन अस्पतालों में मृत्यु दर अधिक है,उन क्षेत्रों में डेथ ऑडिट कमिटी गठित कर रिपोर्ट सरकार को सौंपने का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर आने की संभावना नहीं होने के बावजूद उससे निपटने की पूरी तैयारी रखेन पर जोर दिया। इस तैयारी को लेकर बैठक में विस्तार से चर्ची की गई। टोपे ने बताया कि कोरोना संक्रमितों का पता लगाने के लिए राज्य के 500 से ज्यादा लैब में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच करने का प्रयास किया जा रहा है।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
- राज्य भर के किराना दुकानदार, दूध विक्रेता, सब्जी विक्रेता, छोटे-मोटे व्यावसायी, परिवहन कर्मचारी आदि कर्मियों को सुपर स्प्रेडर मानकर उनकी जांच पर जोर दिया गया।
- छोटे शहरों के अस्पतालों में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या कम होने की वजह से लैब के सहायकों को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शुरू किए जाने का निर्णय लिया गया।
- राज्य में कोरोना की रोकथाम के लिए जिन योजनाओं को लागू किया गया है, और इसके लिए जो सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, उन्हें कायम रखते हुए निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी बेड आरक्षित रखने का निर्णय बरकार रखने का निर्णय लिया गया।