2 अप्रैल को रचा जाएगा नया इतिहास, भारत-नेपाल के बीच सदियों पुराना रिश्ता और होगा प्रगाढ़

भारत वर्षों से नेपाल का साझेदार रहा है। भारत- नेपाल हिमालय पर्वत से जुड़े हैं, तराई के खेत-खलिहानों से जुड़े हैं, छोटी-बड़ी दर्जनों नदियों से जुड़े हुए हैं और खुली सीमा से भी जुड़े हुए हैं।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा दो अप्रैल को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयनगर-जनकपुर धाम-कुर्था के बीच नव आमान परिवर्तित रेल लाइन पर ट्रेन सेवा की पुनर्बहाली का शुभारंभ करेंगे। यह सिर्फ एक रेल सेवा ही नहीं होगी, बल्कि यह दोनों देशों की सदियों पुराने द्विपक्षीय रिश्तों को प्रगाढ़ करने के साधन के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। दोनों देशों के रिश्तों में और मजबूती आए, इसके लिए कनेक्टिविटी अहम है तथा इसी कारण भारत और नेपाल के बीच कनेक्टिविटी को प्राथमिकता दी गई है, जिससे आर्थिक संपन्नता आएगी ही, आपसी संपर्क भी बढ़ेगा। इससे भारत से नेपाल के जनकपुर धाम जानेवाले तीर्थयात्रियों को काफी सुविधा होगी।

1937 में शुरू की गई पहली ट्रेन सेवा
इस रेल सेवा के शुरू हो जाने के बाद ना केवल यात्रा सुगम होगी, बल्कि व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, पर्यटकों के आवागमन में भी सुविधा होगी एवं सीमावर्ती क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। 1937 में भारत के जयनगर और नेपाल के बैजलपुर के मध्य नैरो गेज पर ट्रेनों के परिचालन की शुरूआत की गई थी। लेकिन 2001 में नेपाल में आए भीषण बाढ़ में कुछ रेलपुलों के बह जाने के कारण नेपाल में जनकपुर से आगे ट्रेन सेवा बंद करना पड़ा था। जबकि जनकपुर से जयनगर तक मार्च 2014 तक ट्रेनों का परिचालन जारी रहा। भारत सरकार एवं नेपाल सरकार के आपसी समझौते के तहत जयनगर-बैजलपुरा-बर्दीबास के बीच नई बड़ी रेल लाईन स्थापित करने का निर्णय लिया गया तथा भारत सरकार के परियोजना विदेश मंत्रालय वित्त पोषित किया।

नेपास वर्षो से भरत का साझेदार
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि भारत वर्षों से नेपाल का एक स्थाई विकास का साझेदार रहा है। भारत और नेपाल हिमालय पर्वत से जुड़े हैं, तराई के खेत-खलिहानों से जुड़े हैं, छोटी-बड़ी दर्जनों नदियों से जुड़े हुए हैं और खुली सीमा से भी जुड़े हुए हैं। लेकिन बदलते परिदृश्य में सिर्फ इतना ही काफी नहीं है और यह दोनों देश के लिए अत्यंत गौरव की बात है कि भारत और नेपाल दो अप्रैल को एक बार फिर रेलवे से जुड़ जाएंगे। उन्होंने बताया कि भारत और नेपाल के बीच करीब 784 करोड़ रूपए की लागत से निर्माणाधीन जयनगर-बिजलपुरा-बर्दीबास (69.08 किमी) रेल परियोजना के तहत प्रथम चरण में नव आमान परिवर्तित 34.50 किलोमीटर लंबे जयनगर-जनकपुरधाम-कुर्था (नेपाल) रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन पुनर्बहाल किया जाएगा।

इन स्थानों पर जाना होगा आसान
इस परियोजना के पहले चरण में बिहार के मधुबनी जिले के जयनगर स्टेशन को नेपाल के कुर्था से जोड़ा गया तथा इनरवा स्टेशन, खजुरी स्टेशन, महिनाथपुर हॉल्ट, बैदेही स्टेशन, परवाहा हॉल्ट, जनकपुर धाम स्टेशन बनाए गए हैं। भारत के जयनगर एवं नेपाल के इनरवा स्टेशनों पर कस्टम चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। यात्रा के दौरान दोनों देश के नागरिकों को वैध फोटोयुक्त पहचान पहचान पत्र मूल रूप में रखना अनिवार्य होगा। कुर्था से बीजलपुरा तक करीब 18 किलोमीटर लंबे रेलखंड का भी कार्य लगभग पूरा किया जा चुका है। जबकि बीजलपुरा से बर्दीबास तक लगभग 16 किलोमीटर लंबे रेलखंड के निर्माण का कार्य नेपाल सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के बाद शुरू कर दिया जाएगा।

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