स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा थे नवादा के रामकिशन बाबू

रामकिशन बाबू अंग्रेज शासन की आंखों की किरकिरी थे ।अंग्रेज बराबर उन्हें जेल में रखना चाहता था।

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नवादा जिले के वारसलीगंज थाने के सिमरी गांव निवासी पूर्व विधायक स्वर्गीय राम किशन सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा थे ।जिन्होंने काला पानी की सजा भोग कर देश को आजाद कराया था। आज भी नवादा वासी उनके त्याग व बलिदान को याद कर गौरवान्वित महसूस करते हैं। रामकिशन बाबू को रेलवे स्टेशन तथा डाकघर जलाने व लूटने की योजना के आरोप में 1930 में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में इन्हें भारत सरकार ने ताम्रपत्र के रूप में प्रशस्ति पत्र दी है ।

उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में 1930 से 1934 तक सिमरी गांव के सहयोगियों के साथ नमक बनाने का निर्णय मिट्टी को खोलाकर किया था। नमक बनाने के दौरान उन्हें क्रूर दारोगा द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था।1930 से 1932 के दौरान दो बार जेल की सजा हुई थी । 6-6 महीने तक जेल में रखे गए थे । उन्होंने नारा दिया था कि यह नमक की पुड़िया नहीं, बल्कि गुलामी भगाने की पुड़िया है। जिससे आमजन काफी प्रभावित होकर नमक आंदोलन में कूद पड़े थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने 1942 ई में तोड़फोड़ का आंदोलन चला रहे थे ।सिमरी गांव के ही 18 सहयोगियों के साथ उन्होंने इस आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था । जिसमें बड़े पैमाने पर सरकारी संपत्तियों की तोड़फोड़ के साथ आगजनी में नुकसान पहुंचाया गया था ।

आजादी का बाद भी सक्रिय रहे रामकिशन बाबू
देश आजादी के बाद 1951 से 57 तक हिसुआ -नवादा दोहरे विधानसभा क्षेत्र से विधायक के तौर पर निर्वाचित घोषित किए गए ।1957 से 1959 तक वारसलीगंज विधानसभा से विधायक निर्वाचित घोषित किए गए ।1962 से 67 तक तीसरी बार वारसलीगंज विधानसभा के विधायक के रूप में चुने गए थे।रामकिशन बाबू को नवादा जिले में स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा के साथ ही एक बहुत बड़े समाज सुधारक के रूप में देखा जाता है ।उन्होंने स्वामी सहजानंद सरस्वती के साथ जमीदारी उन्मूलन के लिए व्यापक स्तर पर काम किया था ।स्वामी सहजानंद सरस्वती वारसलीगंज प्रखंड के रेवरा गांव पहुंचे थे ।जहां आंदोलन की अगुवाई उनके साथ स्वतंत्रा सेनानी रामकिशन बाबू ने की थी ।

अंग्रेज उन्हें हमेशा जेल में रहना चाहते थे
रामकिशन बाबू अंग्रेज शासन की आंखों की किरकिरी थे ।अंग्रेज बराबर उन्हें जेल में रखना चाहता था ।लेकिन वे भूमिगत होकर व्यापक पैमाने पर स्वतंत्रता संग्राम में आंदोलनरत रहे ।जिस कारण आज भी नवादा वासी उन्हें श्रद्धा और सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। आज देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव मना रहा है, जिसमें महान स्वतंत्रता सेनानी रामकिशन बाबू को विशेष तौर पर याद किया जाना जरूरी है।

डॉ संजय कुमार सुमन

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