रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल रुपये की लांचिंग को ‘लैंडमार्क’ बताते हुए कहा कि हमने केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का ट्रायल 1 नवंबर को ही शुरू किया है। डिजिटल रुपये की शुरुआत देश के लिए एक ऐतिहासिक पल है। यह व्यापार करने के तरीके को बदल देगा। शक्तिकांत दास ने कहा कि खुदरा खंड का परीक्षण इस महीने के अंत में शुरू किया जाएगा।
आरबीआई गवर्नर ने 2 नवंबर को यहां बैंकरों के वार्षिक एफआईबीएसी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने दुनिया के लिए मजबूत और आशावादी तस्वीर पेश की है। हमने ब्याज दरों को कम रखकर अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित होने से रोका और समय से पहले सख्त कदम उठाने से दूर रहे। उन्होंने कहा कि समय से पहले सख्त कदम उठाने से अर्थव्यवस्था और नागरिकों को भारी कीमत चुकानी पड़ती।
ऐतिहासिक उपलब्धि
शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 3 नवंबर को होगी। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि डिजिटल करेंसी एक ऐसी चीज है, जहां हमें बहुत सावधानी से आगे बढ़ना है। 1 नवंबर को हमने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) परियोजना का परीक्षण शुरू किया, जहां तक पूरी अर्थव्यवस्था के कामकाज का संबंध है, तो यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। रिजर्व बैंक दुनिया के उन गिने-चुने केंद्रीय बैंकों में शामिल है, जिन्होंने यह पहल की है।
डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने देश की पहली डिजिटल करेंसी को पायलट प्रोजेक्ट के तहत विशिष्ट उपयोग थोक लेन-देन के लिए 1 नवंबर को लॉन्च किया था। पहले ही दिन डिजिटल रुपये के साथ कुल 275 करोड़ रुपये के 48 सौदे का कारोबार हुआ। रिजर्व बैंक ने चुनिंदा बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक-बाजार लेनदेन के लिए इसका उपयोग करने की अनुमति दी है।