पुणे जिला मध्यवर्ती बैंक के पास 22 करोड़ 25 लाख रुपए के पुराने नोट है। बैंक ने ये नोट आरबीआई को बदलने के लिए दिए थे लेकिन अब आरबीआई ने उन पुराने नोटों को बदलने से इनकार कर दिया है। इस मामले को लेकर अब बैंक ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
बता दें कि बैंक में जमा 576 करोड़ रुपये के पुराने नोट सात महीनों से बैंक में पड़े थे। आखिरकार 554 करोड़ रुपये के नोट बदले गए। तब तक बैंक को 50 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हो चुका था। बचे हुए नोटों में से 22 करोड़ 25 लाख रुपये के पुराने नोटों को अभी तक आरबीआई ने नहीं बदला है।
70 से 80 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ
पीडीसीसी बैंक ने पुराने नोट बदलने के लिए अब सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। फिलहाल कोरोना के कारण न्यायालय सुचारु रुप से नहीं चल रहे हैं। इसलिए बैंक ने इन पुराने नोटों को एक लॉकर में रख दिया है। इन नोटों को घुन और अन्य कीड़ों से बचाने का प्रयास किया जा रहा है। पता चला है कि इन पुराने नोटों के कारण पुणे पीडीसीसी बैंक पर 70 से 80 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ा है।
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8 नवंबर 2016 को घोषित की गई थी नोटबंदी
बता दें कि 8 नवंबर 2016 को रात 8.30 बजे भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। घोषणा के अनुसार 500 और 1,000 रुपये के तत्कालीन नोट आधी रात से बंद कर दिए गए थे। उसके बाद 30 दिसंबर 2016 तक ग्राहकों को अपने बैंक खातों में पुराने नोट जमा करने और नए नोट लेने की समय सीमा घोषित की गई थी।