महाराष्ट्र में ‘घर रहें, काम करें’?

कोरोना से महाराष्ट्र में त्राहि मच गई है। संक्रमितों की बढ़ती संख्या के कारण एक बार फिर अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमतरता होने लगी है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास कड़े कदम उठाने के अलावा कोई पर्याय नहीं है।

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राज्य में कोरोना का संक्रमण तेजी से पसर रहा है। घर मुख्यमंत्री का हो या आम जनमानस का, कोरोना की पहुंच से कोई अछूता नहीं है। दिनोंदिन आंकड़े बढ़ रहे हैं। इसमें बुधवार का दिन सबसे दुखदायी बनकर आया, जब राज्य में कोरोना से 227 लोगों के प्राण चले गए।

परिस्थिति की गंभीरता के देखते हुए अब राज्य सरकार कभी भी निजी कार्यालयों के लिए निर्देश जारी कर सकती है। जिसमें, घर रहें, काम करें (वर्क फ्रॉम होम) को अनिवार्य कर दिया जाएगा। सरकार का प्रयत्न है कि सार्वजिनक स्थानों पर भीड़ को कम किया जाए। जिससे कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके।

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लॉकडाउन नहीं पर घर से निकलने पर प्रतिबंध
देश पहले ही लॉकडाउन की त्रासदी को झेल चुका है। अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। अब जब पिछले तीन-चार महीनों की कड़ी मेहनत के बाद स्थिति कुछ सुधरी तो कोरोना काल बनकर फिर सशक्त हो गया है। इस स्थिति को संभालने के लिए राज्य सरकार पुन: लॉकडाउन नहीं करना चाहती है। इसलिए कड़ा प्रतिबंध ही एकमात्र उपाय रह गया है।

सरकार अधिक से अधिक लोगों को उनके घरों पर ही रखना चाहती है लेकिन उनके व्यवसाय को प्रभावित न करते हुए। इसलिए अब घर पर रहो, काम करो जहां तक संभव हो वहां पर लागू करने की घोषणा कर सकती है। इसमें सूचना तकनीकि क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं।

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ये होगा लाभ
घर से काम करने पर अधिकांश लोग घरों में ही रहेंगे। इससे सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ को टाला जा सकेगा। जिसमें लोकल ट्रेन समेत सरकारी परिवहन व्यवस्था में भीड़ को तेजी से नियंत्रित किया जा सकता है।

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