केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए बूस्टर डोज की जरूरत पर विचार चल रहा है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि बूस्टर डोज के बारे में विशेषज्ञ वैज्ञानिक विश्लेषण कर विचार कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने कहा है कि नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 बूस्टर डोज के तकनीकी पहलुओं पर विचार कर रही है। विशेषज्ञों की टीम कोरोना से बचाव के लिए दिए जाने वाले विभिन्न वैक्सीन, उनके बीच का अंतराल इत्यादि पर विचार कर रहे हैं। इस पर कुछ समय के बाद ही फैसला किया जाएगा।
न्यायालय ने पूछा सवाल
25 नवंबर को उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या कोरोना से बचाव के लिए बूस्टर डोज लेना जरूरी है। जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा था कि अगर बूस्टर डोज लेना जरूरी है तो उसकी टाइमलाइन क्या है। न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो इस संबंध में हलफनामा दाखिल करे कि कोरोना से बचाव के लिए बूस्टर डोज जरूरी है कि नहीं। अगर बूस्टर डोज की जरूरत है तो उसे आरोग्य-सेतु ऐप पर कब से शुरू किया जाएगा। न्याायालय ने कहा था कि पश्चिमी देशों में बूस्टर डोज की वकालत की जा रही है। न्यायालय ने पूछा था कि क्या जिन लोगों ने कोरोना के दोनों वैक्सीन लगवा रखी है, उन्हें बूस्टर डोज की जरूरत है।
बूस्टर डोज जरूरी है कि नहींः न्यायालय
न्यायालय ने चिकित्सकों की इस राय को नोट किया था कि धीरे-धीरे रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो रही है। ये आम लोगों के लिए चिंता का विषय है, खासकर बुजुर्गों या उन्हें जिन्हें दूसरी बीमारियां हैं। वे ये जानना चाहते हैं कि उनके लिए बूस्टर डोज जरूरी है कि नहीं। न्यायालय ने इस तथ्य पर गौर किया था कि वैक्सीन का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी राजशेखर राव ने दिल्ली सरकार के वेबसाइट delhifightscorona.in की कार्यप्रणाली से न्यायालय को अवगत कराया। न्यायालय ने इस वेबसाइट के काम को लेकर दिल्ली सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।