मुंब्रा से दी पीएफआई ने हिंसा की चेतावनी, सक्रिय हुए शाहीन बाग के षड्यंत्रकारी

पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया कट्टरवादी इस्लामी संगठन है। यह जातिगत विद्रोह भड़काने, दंगे करवाने और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रही है।

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मस्जिदों के भोंगे से दी जानेवाली अनियंत्रित बांग के विरोध में उठी आवाज को अब शाहीन बाग के षड्यंत्रकारियों ने खुली धमकी दी है। ठाणे के मुंब्रा में विरोध प्रदर्शन करते हुए कट्टरवादी मुस्लिमों के दल ने कहा है कि, छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं।

पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर विभिन्न राज्यों में दंगे, शाहीन बाग आंदोलन जैसे देश की विघटनकारी गतिविधियों में संलिप्त रहने का आरोप है। आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता को देखते हुए कई राज्यों में इस संगठन को आतंकवादी संगठन की श्रेणी में डालते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसे समय में यह संगठन अब मुंबई के पास ठाणे में सक्रिय हो गई है। यहां कट्टरवादी पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और चेतावनी जारी की है।

होगा शाहीन बाग 2.0
पीएफआई का नाम दिल्ली में हुए शाहीन बाग आंदोलन के पीछे भी सामने आया था। जिसमें हिंसा शुरू हुई और उसकी परिणति दिल्ली दंगों के रूप में देखने को मिली। अब महाराष्ट्र को इस दिशा में धलेकने का प्रयत्न होता दिख रहा है। सूत्रों के अनुसार पीएफआई की गतिविधियां यदि इसी प्रकार आगे बढ़ती रहीं तो मुंबई-टाणें में शाहीन बाद जैसे आंदोलन और दंगे होना कोई बड़ी बात नहीं है।

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अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न नाम की संस्थाएं
नेशनल डेवलपमेंट फंड (एनडीएफ) – केरल
मनिथा नीथि पसराई (एमएनपी) – तमिलनाडु
कर्नाटका फोरम ऑफ डिग्निटी (केएफडी) – कर्नाटक
सिटिजन्स फोरम – गोवा
कम्युनिटी सोशल एजुकेशनल सोसायटी – राजस्थान
नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति – पश्चिम बंगाल
लियांग सोशल फोरम – मणिपुर
असोशिएशन फॉर सोशल जस्टिस – आंध्र प्रदेश
मुस्लिम स्टूडेंट फेडेरेशन और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) – यह संगठन छात्रों के माध्यम से कट्टरवादी विचारों का उन्माद उत्पन्न करता है। हिजाब विवाद में इसकी प्रमुख भूमिका रही है। कई राज्यों की यूनिवर्सिटी में इसकी शाखाएं हैं।

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) –यह पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया का राजनीतिक संगठन है। राजनीतिक पार्टी के रूप में इसने कुछ स्थानों पर चुनावों में हिस्सा भी लिया है। कर्नाटक में स्थानीय निकाय चुनावों में कुछ स्थानों पर इसे जीत भी प्राप्त हुई है।

कुख्यात है पीएफआई
इस संगठन के सदस्यों पर देश में विभिन्न ठिकानों पर 100 से अधिक आतंकी या देशद्रोही गतिविधियों में जांच चल रही है। यह संगठन देश के 23 राज्यों में किसी न किसी रूप में सक्रिय है। जो युवाओं का ‘ब्रेन वॉश’ करके उन्हें कट्टरवाद की ओर मोड़ने, बम बनामे, हिंसात्मक आंदोलन करने जैसे कार्यों की शिक्षा देता है। इस पर 2013 में कन्नूर में आतंकी शिविर लगाने का आरोप रहा है।

इन घटनाओं में संलिप्तता!

 वर्ष 2013 कन्नूर में आतंकी शिविर लगाना

 वर्ष 2017 में हदिया लव जिहाद प्रकरण
हदिया प्रकरण में एनआईए ने दावा किया था कि, हदिया के धर्मांतरण के लिए पीएफआई जिम्मेदार है। परंतु, इसका ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया था।

वर्ष 2019 मेंगलुरू हिंसा
मेंगलुरू पुलिस का दावा था कि पीएफआई और एसडीपीआई के सदस्यों ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में दिसंबर माह में हिंसा भड़काई थी। इस हिंसा में दो लोगों की जान चली गई थी। हिंसा के आरोप में 21 एसडीपीआई और पीएफआई के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था।

वर्ष 2020 दिल्ली दंगा
इस दंगे के प्रकरण में दिल्ली स्पेशल सेल ने आरोप लगाया है कि, दंगाइयों को पीएफआई ने ही संसाधन और आर्थिक सहायता दी थी। इसमें जेएनयू छात्र यूनियन के सदस्य उमर खालिद पीएफआई के सदस्यों से सीधे संपर्क में था। उमर वर्तमान में तिहाड़ जेल में हिरासत अवधि काट रहा है।

 वर्ष 2020 हाथरस बलात्कार प्रकरण
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीएफआई के सदस्यों के विरुद्ध 19 से अधिक देशद्रोह के प्रकरण पंजीकृत किये थे। जिसमें धार्मिक उन्माद उत्पन्न करने, का आरोप भी है। इस प्रकरण में सिद्दिक कप्पन नामक एक तथाकथित पत्रकार को गिरफ्तार किया गया है।

वर्ष 2020 केरल सोना तस्करी
एनआईए ने इस प्रकरण में पीएफआई और सोने की तस्करी करनेवालों के बीच संबंधों की जांच की थई। सूत्रों के अनुसार सोना बेचकर जो धन कमाया जा रहा था, उसे देश विरोधी गतिविधियों में लगाया जा रहा था।

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