Shardiya Navratri: बुरे कर्मों और पापों से मुक्ति दिलाती हैं मां चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है, उसकि पूजा की जाती है।

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इस समय शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में सभी देवी मंदिरों में मां दुर्गा की आराधना पूरी श्रद्धा भावना से की जा रही है। यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। नवरात्रि के अवसर पर देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचकर मां का आशीर्वाद लेते हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुंच गयी है, उसकि पूजा की जाती है। भक्तों का मानना ​​है कि चंद्रघंटा देवी की पूजा (Prayer) करने से संकट दूर हो जाते हैं।

मां चंद्रघंटा की पूजा से आती है सकारात्मकता
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) की पूजा होती है। मां चंद्रघंटा अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करती हैं। यह बुरे कर्मों और पापों (sins) से मुक्ति भी दिलाती हैं। नवरात्रि के इस दिन भूरे या ग्रे रंग के कपड़े पहनना चाहिए। ऐसे वस्त्र बुराई को नष्ट करते हैं और दृढ़ संकल्प को जगाते हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा से सकारात्मकता महसूस होती है। मां चंद्रघंटा को खीर या दूध से बनी कोई भी मिठाई का भोग लगाकर ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए। ऐसा करने से मां चंद्रघंटा आपके सभी दुख दूर करेंगी।

व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम
नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है। नवरात्रि के दौरान ध्यान, योग और भक्ति करने से मन को शांति मिलती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। नवरात्रि व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। वस्तुत: नवरात्र अंत:शुद्धि का महापर्व है। आज वातावरण में चारों तरफ विचारों का प्रदूषण है। ऐसी स्थिति में नवरात्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

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