Shiv Mantra: शिव जी के इन 5 मंत्रों का रोजाना करें जाप, मिलेगा मानसिक शांति और आशीर्वाद

भगवान शिव के कई मंत्रों का जाप किया जाता है, जो विभिन्न आध्यात्मिक लाभों को प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है।

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Shiv Mantra: हिंदू धर्म में भगवान शिव को सदाशिव, महादेव और भूतनाथ जैसे कई नामों से पूजा जाता है। शिव जी की उपासना से व्यक्ति को न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि उनके आशीर्वाद से जीवन के हर क्षेत्र में सुख और समृद्धि भी आती है।

भगवान शिव के कई मंत्रों का जाप किया जाता है, जो विभिन्न आध्यात्मिक लाभों को प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यदि आप अपने जीवन में मानसिक शांति, समृद्धि और भगवान शिव का आशीर्वाद चाहते हैं, तो इन पांच प्रमुख शिव मंत्रों का नियमित जाप करें।

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ओम नमः शिवाय (Om Namah Shivaya)
यह शिव जी का सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंत्र है। “ओम” ब्रह्मांड की सबसे गहरी और शक्तिशाली ध्वनि है, और “नमः शिवाय” का अर्थ है “मैं शिव को नमस्कार करता हूँ।” यह मंत्र मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और आत्मिक शांति प्राप्त करने का एक सरल और प्रभावी तरीका है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से मानसिक तनाव कम होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

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महाशिवरात्रि मंत्र (Maha Shivaratri Mantra)
महाशिवरात्रि के अवसर पर यह मंत्र विशेष रूप से जपने की परंपरा है। यह मंत्र है:

“ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।”

इस मंत्र में भगवान शिव को त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले), उर्वारुक (फल) और मोक्ष देने वाला बताया गया है। यह मंत्र स्वास्थ्य, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

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रुद्राक्ष मंत्र (Rudraksha Mantra)

रुद्राक्ष की माला से भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। मंत्र है:

“ॐ हं हं हं रुद्राय नमः”

इस मंत्र का जाप करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है और व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष से जाप करने पर व्यक्ति की समस्त समस्याओं का समाधान होता है और उसे जीवन में सफलता मिलती है।

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शिव तांडव स्त्रोत (Shiva Tandava Stotra)

जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥२॥

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।
मदांधसिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे मनोविनोदद्भुतं बिंभर्तुभूत भर्तरि ॥४॥

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियैचिरायजायतां चकोरबंधुशेखरः ॥५॥

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसंपदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।
धराधरेंद्रनंदिनी कुचाग्रचित्रपत्र कप्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचनेरतिर्मम ॥७॥

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥८॥

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।
स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।
स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥१०॥

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धि मिध्वनन्मृदंग तुंगमंगलध्वनिक्रमप्रवर्तित: प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥११॥

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥

कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌ कदा सुखी भवाम्यहम्‌ ॥१३॥

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥१६॥

यह शिव जी का एक शक्तिशाली स्त्रोत है, जिसे भगवान शिव की शक्ति और तांडव नृत्य का वर्णन करते हुए लिखा गया है। यह स्त्रोत व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और जीवन में शक्ति, साहस और वीरता लाता है। इस स्त्रोत का जाप करने से मानसिक और शारीरिक रूप से बल मिलता है।
“जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले” से प्रारंभ होने वाला यह स्त्रोत विशेष रूप से शिव भक्तों के बीच प्रसिद्ध है।

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शिव पंचाक्षरी मंत्र (Shiva Panchakshari Mantra)

यह मंत्र भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र है, जो बहुत सरल और प्रभावी है।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र लिरिक्स और अर्थसंस्कृत

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते

यह मंत्र जिसे लगातार 108 बार जपने से व्यक्ति की सभी परेशानियाँ समाप्त होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मंत्र तप और साधना का एक सरल तरीका है, जो मानसिक शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक है।

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इन मंत्रों का जाप
भगवान शिव के इन मंत्रों का जाप न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शांति पाने का एक अद्भुत उपाय है। नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और सफलता का वास होता है। इन मंत्रों का जाप एक साधना के रूप में किया जा सकता है, और यह व्यक्ति के आत्मिक उत्थान के लिए अत्यंत लाभकारी है। अगर आप अपने जीवन में शांति और सफलता चाहते हैं, तो इन मंत्रों का निरंतर जाप करें और भगवान शिव के आशीर्वाद से अपना जीवन सशक्त बनाएं।

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