Shiva Samvad:छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350वें वर्ष के अवसर पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके तहत, महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य विभाग ने सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के मार्गदर्शन में 14 मार्च को सांस्कृतिक कार्य निदेशालय द्वारा ‘शिव संवाद’ नामक दो दिवसीय शैक्षणिक सम्मेलन का आयोजन करने की जानकारी दी है। कार्यक्रम 15 और 16 मार्च, 2024 को मुंबई विश्वविद्यालय के फोर्ट परिसर में आयोजित किया गया है।
इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र 15 मार्च को होगा। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, तंजावुर संस्थान के राजश्री बाबाजी राजे साहेब भोसले छत्रपति, महारानी गायत्री राजे साहेब भोसले, सांस्कृतिक कार्य विभाग के प्रधान सचिव विकास खड़गे, कुलपति मुंबई विश्वविद्यालय डॉ. रवीन्द्र कुलकर्णी एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहेंगे। इस सम्मेलन के दोनों सत्रों में कई प्रसिद्ध इतिहास विद्वानों, लेखकों, इतिहासकारों और इतिहास शोधकर्ताओं के व्याख्यान होंगे।
‘शिव संवाद’ सम्मेलन का उद्देश्य
छत्रपति शिवाजी महाराज का कार्य न केवल इतिहास की एक कड़ी है, बल्कि आधुनिक भारत को आकार देने की प्रक्रिया में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम भी है। छत्रपति शिवराय के स्वराज्य ने एक साम्राज्य का रूप ले लिया और भारत के न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी महान योगदान दिया। इस पूरे आंदोलन के पीछे छत्रपति शिवराय की सामरिक दृष्टि, युद्ध रणनीति, प्रबंधन, राजनीति, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था की प्रेरणा है। ‘शिव संवाद’ सम्मेलन का उद्देश्य इन विषयों पर व्यापक स्तर पर विद्वत संवाद तैयार करना और इस मंथन के माध्यम से आधुनिक समय में छत्रपति शिवराय के कार्यों की प्रासंगिकता को प्रस्तुत करना है। 17वीं से 20वीं सदी तक लगभग तीन शताब्दियों तक शिवाजी महाराज की नीतियों पर बना मराठा साम्राज्य हमारे इतिहास में अद्वितीय महत्व रखता है। स्वतंत्रता संग्राम में स्वाधीनता और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में शिवराय अनेक स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा थे। इस सम्मलेन में इस पूरे इतिहास पर चर्चा की जाएगी।
इतिहास प्रेमियों के लिए एक वैचारिक उपहार
कार्यक्रम के निम्नलिखित सत्रों में महाराष्ट्र राज्य साहित्य एवं संस्कृति मंडल के अध्यक्ष डाॅ. सदानंद मोरे महाराष्ट्र की भक्ति परंपरा के ऐतिहासिक महत्व को प्रस्तुत करेंगे। डॉ. उदय कुलकर्णी, 18वीं-19वीं सदी यानी ‘मराठा सदी’ का आयोजन होगा। प्रसिद्ध इतिहासकार पांडुरंग बालकवड़े ‘जनकल्याणकारी शिवराय और उनकी राजनीति’ विषय पर व्याख्यान देंगे। ग्वालियर के इतिहासकार नीलेश ईश्वरचंद्र करकरे अपने व्याख्यान में ‘श्रीनाथ’ महादजी शिंदे के कार्य और योगदान पर प्रकाश डालेंगे। जेएनयू के प्रोफेसर डॉ. उमेश कदम शिव राय के प्रभाव की भौगोलिक और सांस्कृतिक विरासत प्रस्तुत करेंगे। इतिहास के विद्वान डॉ. केदार फाल्के अत्यंत महत्वपूर्ण विषय, ‘शिवराज्याभिषेक – एक नए युग की शुरुआत’ पर व्याख्यान देंगे।
अगले दिन तंजावुर के मराठी पंडित डॉ. बी. रामचंद्रन ‘राष्ट्र निर्माण में तंजावुर भोसले परिवार का योगदान’ विषय पर बोलेंगे। बेंगलुरु के इतिहास की विद्वान मेधा भास्करन ‘छत्रपति शिवराय की सैन्य प्रणाली’ विषय प्रस्तुत करेंगी। अभ्यासकर्ता प्रसाद तारे सभी को शिव राय के लघुचित्रों और मूर्तियों के बारे में बताएंगे। जिन पर उन्होंने शोध और खोज की है। अभ्यासकर्ता गुरु प्रसाद कानिटकर ‘शैव काल के शासक और उनके लक्ष्य’ विषय पर लोगों के सामने शाहजी राजे की ऐतिहासिक उपलब्धियों को प्रस्तुत करेंगे। सूरत के डॉ. मकरंद जोशी ‘बरोड संस्थान के उज्ज्वल इतिहास’ का खुलासा करेंगे और विद्वान रविराज पराड़कर इस बात पर व्याख्यान देंगे कि छत्रपति शिवाजी महाराज व्यवसाय, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के लिए कैसे प्रेरणा हैं।
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राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने विश्वास व्यक्त किया है कि इस सम्मेलन के माध्यम से, देश भर के विद्वान और अभ्यासकर्ता एक मंच पर आएंगे तथा वैश्विक स्तर पर हिंदू स्वराज्य के इतिहास और योगदान के बारे में एक नया विद्वतापूर्ण संवाद शुरू होगा।
सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अपील की है कि इतिहास प्रेमी, विद्वान, विद्यार्थी बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में शामिल हों।
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