Siddhivinayak Temple dress code: श्री सिद्धिविनायक मंदिर प्रशासन (Shri Siddhivinayak Temple Administration) द्वारा लागू की गई वस्त्रसंहिता (Dress Code) के निर्णय का महाराष्ट्र मंदिर महासंघ (Maharashtra Temple Federation) स्वागत करता है और इसे पूर्ण समर्थन देता है।
मंदिर एक पवित्र धार्मिक स्थल है और हमारी संस्कृति एवं परंपराओं का केंद्र भी है। इसलिए वहाँ उचित वस्त्र परिधान का पालन किया जाना आवश्यक है। इस निर्णय से मंदिर का वातावरण अधिक पवित्र और अनुशासित रहेगा, ऐसा महासंघ ने कहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक आदर्श उदाहरण
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी स्वयं अपनी (एसपीजी) सुरक्षा टीम के साथ गुरुवायूर मंदिर और गुरुद्वारे में दर्शन के लिए जाते समय वहाँ की वस्त्रसंहिता का पालन करते हैं। जब देश के सर्वोच्च नेता ने ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है, तो आम भक्तों के लिए मंदिर प्रशासन द्वारा लागू की गई वस्त्रसंहिता का पालन करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। श्री सिद्धिविनायक मंदिर का यह निर्णय अन्य सभी सरकारीकरण किए गए मंदिरों को भी अपनाना चाहिए, ऐसा महासंघ का मत है।
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केवल हिंदू मंदिरों पर ही आपत्ति क्यों?
मंदिर महासंघ ने सवाल उठाया है कि जब विद्यालयों (ज्ञान के मंदिर) में ड्रेसकोड लागू किया जाता है, न्यायालयों (न्याय के मंदिर) में ड्रेसकोड लागू किया जाता है, और विधान भवन (लोकतंत्र के मंदिर) में भी ड्रेसकोड लागू किया जाता है, तो काई आपत्ती नही आती है, तो फिर केवल हिंदू मंदिरों की वस्त्रसंहिता पर ही आपत्ति क्यों? महासंघ ने स्पष्ट किया कि यह नियम केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि सभी भक्तों के लिए लागू किया गया है। इसलिए इसे ‘महिलाओं पर अन्याय’ कहकर गलत प्रचार करना अनुचित है।
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आपत्ति जताना दुर्भाग्यपूर्ण
उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, श्री तिरुपति बालाजी मंदिर सहित देशभर के कई मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू है। इतना ही नहीं, चर्च, मस्जिद, गुरुद्वारा, पुलिस थाने, अस्पताल और सरकारी कार्यालयों में भी निर्धारित ड्रेसकोड होते हैं। लेकिन सिर्फ हिंदू मंदिरों में इस पर आपत्ति जताना दुर्भाग्यपूर्ण है।
संस्कृति की रक्षा आवश्यक
मंदिर में जाने वाले भक्तों को उचित वस्त्र धारण करने का मंदिर प्रशासन द्वारा किया गया अनुरोध उचित है। मंदिर एक श्रद्धास्थान है, जहाँ प्रत्येक भक्त को श्रद्धा और भक्ति भाव से जाना चाहिए। इसलिए वस्त्रसंहिता भक्तों के सम्मान के लिए है, न कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध।
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