भारत के पहले मानव मिशन ‘गगनयान’ के लिए ‘अंतरिक्ष भोजन’ का मेन्यू फाइनल, इडली सांबर के साथ ही ये व्यंजन शामिल

भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए खाना तैयार करने की जिम्मेदारी डीआरडीओ को सौंपी गई है।

102

भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान ‘गगनयान’ के चालक दल के लिए शाकाहारी और मांसाहारी भारतीय खाद्य पदार्थों के छह मेनू तैयार किए जा रहे हैं। डीआरडीओ की रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला इन्हें तैयार कर रही है। भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन 2023 में लॉन्च होगा। ‘अंतरिक्ष भोजन’ के सभी सैम्पल तैयार करके परीक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को भेजे गए हैं। इसके बाद अब भोजन बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। खाने लायक ‘पैक्ड स्पेस फूड’ 2022 के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है।

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मेन्यू तैयार करते समय उनकी कैलोरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। थकावट दूर करने वाले मेन्यू में सब्जी पुलाव, वेजिटेबल बिरयानी, चिकन कट्टी रोल, कट्टी रोल (अंडा), कट्टी रोल (पनीर, स्वीट कॉर्न), आलू भरवां परांठा, दाल-चावल, कढ़ी चावल, राजमा चावल, सांबर चावल, पीने के लिए ओआरएस घोल और संरक्षित चपातियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों को अनानास, गाजर और ककड़ी का रस पाउडर मिलेगा। इडली सांबर, खिचड़ी, मूंग दाल हलवा, नारियल की चटनी, जिफी उपमा जैसे इंस्टैंट फूड भी मेन्यू में शामिल किये गए हैं।

भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए खाना तैयार करने की जिम्मेदारी डीआरडीओ को सौंपी गई है। मैसूर स्थित रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (डिफेन्स फूड रिसर्च लेब्रोटरी-डीएफआरएल) के वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों की 70-सदस्यीय टीम ने भारत के सबसे बड़े मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन का मेन्यू फाइनल कर लिया है। ‘अंतरिक्ष भोजन’ के सभी सैम्पल तैयार करके परीक्षण के लिए भारतीय वायुसेना को भेजे गए हैं। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन का परीक्षण करेगा। सभी तरह के परीक्षण पूरे होने के बाद भोजन बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

अंतरिक्ष भोजन का मेन्यू तैयार करते समय डीएफआरएल ने अपशिष्ट निपटान प्रणाली (बचे हुए भोजन), तरल वितरण प्रणाली, खाद्य पुनर्जलीकरण प्रणाली का ध्यान रखा है। फिलहाल अंतरिक्ष भोजन को सात दिनों के लिए पर्याप्त बनाने की योजना है, क्योंकि गगनयान मिशन के सटीक दिनों के बारे में अभी पता नहीं चला है। फिर भी इसरो से मिलने वाले मानकों के आधार पर प्रयोगशाला में अंतरिक्ष भोजन तैयार किया जा रहा है। गगनयान मिशन के लिए डीएफआरएल के अंतरिक्ष उत्पादों की नासा के मानकों के अनुसार माइक्रो पोषक तत्व, माइक्रोबायोलॉजिकल सुरक्षा और स्वीकार्यता के बारे में योग्यता के लिए जांच की गई है।

यह भी पढ़ें-भारत ने इंग्लैंड को 49 रन से हराकर श्रृंखला में बनाई 2-0 की अजेय बढ़त, इन खिलाड़ियों ने दिखाया दम

स्नैक्स के तौर पर मेन्यू में फ्रूट एंड नट बार, ओमेगा-3 रिच बार, खजूर बार, चॉकलेट बार, मैंगो बार, कॉम्बिनेशन टेक प्रोसेस्ड ड्राई फ्रूट्स (नमकीन बादाम, काजू और कद्दू के बीज), बीन्स इन सॉस, टोमैटो सॉस, आम और नींबू का अचार, कॉफी और चाय जैसे पेय शामिल किये गए हैं। सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण को ध्यान में रखते हुए पाउच में पीने योग्य पानी के लिक्विड डिलीवरी सिस्टम को पूरी तरह लीक प्रूफ बनाया गया है। गर्म होने वाले खाद्य पदार्थों को विशेष रूप से अंतरिक्ष भोजन के तौर पर डिजाइन किया गया है, जो 8 से 10 मिनट के औसत समय के भीतर 60-70 डिग्री सेल्सियस का मुख्य तापमान देता है। इन-पाउच रिहाइड्रेशन सिस्टम का एक प्रोटोटाइप भी तत्काल खाद्य पदार्थों के लिए डिजाइन किया गया है।

डीएफआरएल को उस समय पहली बार अंतरिक्ष भोजन विकसित करने का मौका मिला था, जब रूस के अंतरिक्ष मिशन में भारत के राकेश शर्मा तीन अप्रैल, 1984 को सोवियत संघ के यूरी मालिशेव और गेनादी स्ट्रेकालोव के साथ गए थे। भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने वहां सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए थे। उस समय डीएफआरएल ने रेडी टू ईट (आरटीई) मैंगो बार, फ्रीज ड्राई अनानास और आम के रस का पाउडर उपलब्ध कराया था। तीनों अंतरिक्ष यात्रियों के लिए हल्के वजन के ये आरटीई उत्पाद हमेशा ताजा रहे और तुरंत पानी में घोलकर इनका इस्तेमाल किया।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.