इसी वर्ष 22 जून को अमेरिकी संसद कैपिटॉल हिल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उद्घोषण पूरे देश और दुनिया के लोग लाइव देख रहे थे। 21 से 23 जून तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर थे। उन्होंने 21 जून को संयुक्त राष्ट्र महासंघ में आयोजित विश्व योग दिवस समारोह में भाग लिया। 23 जून को प्रवासी भारतीयों के साथ एक सम्मेलन में हॉलीवुड की मशहूर गायिका मैरी मिलबेन ने राष्ट्रगान की प्रस्तुति दी। इसके बाद मिलबेन ने प्रधानमंत्री के पैर छुए। देश-दुनिया की मीडिया में यह खबर सुर्खी बन गई। पत्रकारों से बातचीत में मिलबेन ने अपने गुरु डॉ. मोक्षराज का विशेष उल्लेख किया। प्रधानमंत्री के चरण स्पर्श करने की यह घटना है तो छोटी सी, लेकिन पूरी दुनिया में यह क्षण चर्चा का विषय बना। यह हॉलीवुड गायिका का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हिंदी सिखाने वाले डॉ मोक्षराज के प्रति गुरुभाव तथा संस्कार थे।
कौन हैं मिलबेन के गुरु डॉ. मोक्षराज?
दरअसल, गायिका मैरी मिलबेन के गुरु डॉ. मोक्षराज अजमेर (राजस्थान) के रहने वाले हैं। वह वर्तमान में जयपुर में रह रहे हैं। डॉ. मोक्षराज अमेरिका स्थित भारतीय राजदूतावास में अपनी तीन वर्षीय सेवाओं के उपरान्त दो वर्ष पूर्व स्वदेश लौट चुके हैं। भारतीय राजदूतावास, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी एवं प्रवासी भारतीयों के संगठनों ने उनकी कार्यशैली व शिक्षण की विशेष प्रशंसा की थी। उनके काम करने की समर्पण शक्ति ने जहां भारत सरकार का ध्यान आकर्षित किया है, वहीं कई देशों के नागरिक भी उनसे परिचित होने में गौरव अनुभव करते हैं।
उनके द्वारा अमेरिका में भारतीय भाषा, संस्कृति व योग की जो धूम मचाई गई, उसकी गूंज आज तक सुनाई दे रही है। भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ. मोक्षराज ने अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों, हॉलीवुड तथा भारतीय राजदूतावास में संचालित कक्षाओं के माध्यम से 17 देशों के नागरिकों को योग, हिंदी एवं संस्कृत भाषा सिखाई थी। हालांकि उन सभी छात्रों में से अफ़्रीकन अमेरिकन मूल की हॉलीवुड अभिनेत्री प्रसिद्ध गायिका मैरी मिलबेन ने सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त की है।
ऐसे हुई डॉ मोक्षराज से मुलाकात
मैरी मिलबेन ने एक बार व्हाइट हाउस में प्रवास के दौरान एक वरिष्ठ पत्रकार से पूछा कि वे हिंदी सीखने के लिए क्या करें? संयोग से वह पत्रकार डॉ. मोक्षराज को जानते थे, जिन्होंने मिलबेन को भारतीय दूतावास में सम्पर्क के लिए कहा। डॉ. मोक्षराज ने मिलबेन की अभिरुचि का आकलन कर उन्हें भारत की महान संस्कृति से भी परिचित कराना आरंभ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप मिलबेन भारत से प्रेम करने लगीं। डॉ. मोक्षराज ने मिलबेन को भारत का राष्ट्रगान एवं ओम् जय जगदीश हरे भजन भी सिखाया। इन दोनों प्रस्तुतियों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कर दिया। उनकी इस लोकप्रियता के कारण आज़ादी के 75वें वर्ष पर आयोजित अमृत महोत्सव 2022 में भारत सरकार ने उन्हें विशेष अतिथि के रूप में दिल्ली भी आमंत्रित किया था।
सोशल मीडिया पर व्यक्त किया आभार
इसी साल 21 से 23 जून तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर थे, तब उन्होंने 21 जून को संयुक्त राष्ट्र महासंघ में आयोजित विश्व योग दिवस समारोह में भाग लिया। इस समारोह मे भारतीय उच्चायोग न्यूयॉर्क द्वारा मैरी मिलबेन को भी विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। इस आधार पर मिलबेन ने प्रधानमंत्री के साथ प्रथम पंक्ति में योगाभ्यास किया। इस सुखद पल को मैरी मिलबेन ने सोशल मीडिया पर साझा करते हुए डॉ. मोक्षराज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने 22 जून को अमेरिकी संसद कैपिटॉल हिल में उद्बोधन दिया तथा 23 जून को प्रवासी भारतीयों के साथ एक सम्मेलन में उपस्थित रहे, जहां मैरी मिलबेन ने राष्ट्रगान की प्रस्तुति के बाद प्रधानमंत्री के पैर छुए। यह ख़बर सुर्ख़ियों में आ गई। इस दौरान मिलबेन ने अपने गुरु डॉ. मोक्षराज का विशेष उल्लेख किया। मिलबेन ने विभिन्न चैनलों को दिए अपने इंटरव्यू में डॉ. मोक्षराज का श्रद्धापूर्वक नाम लिया। एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी सफलता का पूरा श्रेय डॉ. मोक्षराज को ही दिया। यह अजमेर और भारत के लिए गौरव की बात है।
क्या कहते हैं डॉ मोक्षराज?
डॉ. मोक्षराज बताते हैं, “अफ़्रीकन अमेरिकन मूल की प्रसिद्ध हॉलीवुड गायिका मैरी मिलबेन को उन्होंने मई 2020 में पढ़ाना आरंभ किया था। कुछ सप्ताह बाद ही उन्हें लगा कि मिलबेन को भारत का राष्ट्रगान भी सिखाना चाहिए और इसके लिए वह सहमत हो गईं। हिन्दी वर्णमाला सिखाते हुए केवल तीन माह में डॉ. मोक्षराज ने उन्हें राष्ट्रगान के माध्यम से भारत के भूगोल, इतिहास, संस्कृति व संस्कारों से परिचित करा दिया। इसके परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 2020 को मैरी ने प्रथम बार राष्ट्रगान गाकर करोड़ों भारतीयों का हृदय जीत लिया था। डॉ. मोक्षराज के हृदय में बसी अपने प्रदेश की माटी के संस्कारों की सुगंध ने तब भी विश्व भर के प्रवासी भारतीयों का ध्यान खींच लिया था, जब मिलबेन ने एरिज़ोना की पहाड़ियों में स्थित एक चर्च में दीपावली के अवसर पर ‘ओम् जय जगदीश हरे’ भजन गाया। इस भजन की प्रस्तुति में भी राजस्थानी केसरिया लहंगा चुनरी में मिलबेन ने अपने संस्कारों एवं भारत की संस्कृति के प्रति अगाध श्रद्धा व्यक्त की।
मिलबेन को दिए गए संस्कार और भारत के प्रति प्रेम के सरोवर की सीमा बढ़ती जा रही थी। डॉ. मोक्षराज बताते हैं कि हम दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को दृढ़ता प्रदान करने के लिए नए प्रयोग कर रहे थे। प्रायः देखा जाता है कि अमेरिका की धरती पर एक जनवरी को न्यू ईयर मनाने वाले तो बहुत लोग हैं, किन्तु चैत्र प्रतिपदा को नववर्ष मनाने वाले लोग नगण्य है। इसलिए, डॉ. मोक्षराज ने मिलबेन को भारतीय नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा, चेटीचंड अर्थात् नववर्ष मनाने की प्रेरणा भी दी थी। इसके लिए मिलबेन ने 13 अप्रैल, 2021 को अपने घर में चावल भात पकाकर ओम् अग्नये स्वाहा तथा ओम् सोमाय स्वाहा मंत्र बोलकर नया वर्ष मनाया।
आचार्य मोक्षराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर व्यक्त की अपनी वेदना
दोनों देशों के इन सांस्कृतिक संबंधों के पीछे खड़े मिलबेन के गुरु आचार्य मोक्षराज ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश के नागरिक अपने संस्कारों को भुला रहे हैं, कहीं ऐसा न हो, कुछ समय बाद हम जैसे शिक्षक विदेशियों को शिक्षा देने की नैतिकता ही खो दें। उल्लेखनीय है कि मैरी मिलबेन आज भी नियमित रूप से डॉ. मोक्षराज से नि: शुल्क शिक्षा ले रही हैं। नि:संदेह यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है।