कोरोना काल में क्वारंटाइन केंद्र बनाने के लिए मुंबई महानगर पालिका ने होटल, तैयार सरकारी रहिवासी इमारतों को अपने नियंत्रण में ले लिया था। इसका लाभ होटलों को बोनस के रूप अच्छा मिला परंतु एसआरए की तैयार इमारत इसकी हानि झेल रही हैं। वहां के निवासियों को न घर मिल पाया और न ही बिल्डर अब किराया दे रहा है और संपत्ति कर अलग से मुंह बाए खड़ी है। यह गरीबों के साथ बेमानी से कम नहीं है।
यह बात चेंबूर की है जहां स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी की इमारत तैयार हो गई थी। उसके आबंटन के लिए लॉटरी भी निकाली गई परंतु, घर मिलने के पहले उस पर मुंबई महानगर पालिका ने अपने नियंत्रण में ले लिया, वहां क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था। हालांकि, यहां अब कोई क्वारंटाइन सेंटर नहीं चल रहा लेकिन यह अब भी है मनपा के हाथ में ही।
इसे मराठी में पढ़ें – महापालिकेच्या कोविड सेंटरमुळे ३०९ कुटुंबे घरापासून वंचित!
न घर, न पैसा ऊपर से ‘कर’ की किटकिट
मुंबई महानगर पालिका की स्थाई समिति सभा में नगरसेवक कमलेश यादव ने चेंबूर के 309 झोपड़ाधारको के पुनर्वसन के मुद्दे को उठाया था। जिन्हें लॉटरी होने के बाद भी घर आबंटन नहीं हो पाया है। इन लोगों को अपने घरों का अधिकार मिलना था कि मनपा ने इसे अपने अधिकार में ले लिया। परंतु, कोविड का प्रभाव कम होने के बाद इसमें कोविड सेंटर का संचालन बंद है। दूसरी ओर लॉटरी निकालने के बाद से ही इन घरों के लाभार्थियों को विकासकर्ता ने किराया देना बंद कर दिया है। अब मनपा इसे सौंप भी नही रही है और ऊपर से 25 लाख रूपए का संपत्ति कर बकाया के रूप में भेज दिया है। यानी न घर, न पैसा और ऊपर से कर की किटकिट।
ये भी पढ़ें – हॉटेल्सना महापालिकेचा कोरोना ‘बोनस’
होटलों पर कृपा तो गरीबों पर क्यों नहीं
मुंबई मनपा ने वर्ष 2020 में 182 होटलों का उपयोग किया था, जिसके लिए होटलों को प्रशासन ने तय भुगतान भी किया था। इसके बाद इन होटलों को संपत्ति कर में छूट भी दी गई थी। परंतु, यह कृपा स्लम रिहैबिलिटेशन योजना के अंतर्गत घर पाने की आस लगाए बैठे गरीबों पर नहीं दिख रही है।