Supreme Court ने देशभर की जेलों में भीड़ को कम करने के लिए जिला स्तरीय कमेटियों के दायरे का विस्तार(Expansion of the scope of district level committees) कर दिया है, जिनका गठन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों(States and Union Territories) की ओर से किया जाना है। ये कमेटियां जेलों में बंद महिला कैदियों की समस्याओं पर भी गौर(Attention should also be paid to the problems of women prisoners in jails) करेंगी। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच(Bench headed by Justice Hima Kohli) ने ये आदेश दिया।
कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी को देशभर की जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भधारण की चिंताजनक संख्या पर स्वत: संज्ञान लिया था। कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका के जरिये पश्चिम बंगाल की जेलों और सुधार गृहों में महिला कैदियों के गर्भवती होने की परेशान करने वाली प्रवृति के बारे में बताया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने सभी प्रदेशों को दिय यह निर्देश
इसके पहले 30 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने जिला स्तरीय कमेटियों के गठन का निर्देश दिया था। इन कमेटियों को जेलों में मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर का आकलन करने और जेलों में दूसरी अतिरिक्त सुविधाओं की जरूरतों का निर्धारण करने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन कमेटियों में डिस्ट्रिक्ट जज, जिला विधिक सहायता सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, जिला पुलिस अधीक्षक और जेल अधीक्षक शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को 5 अप्रैल 2024 तक इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।