यह देशद्रोह की परिभाषा तय करने का समय है! जानिये, सर्वोच्च न्यायालय ने क्यों कहा ऐसा

सर्वोच्च न्यायालय ने सांसद के. रघुराम के कथित आपत्तिजनक भाषण को प्रसारित करने पर राजद्रोह के आरोप का सामना कर रहे टीवी चैनलों द्वारा दायर याचिका पर आंध्र प्रदेश सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।

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सर्वोच्च न्यायालय से वाईएसआर कांग्रेस के असंतुष्ट सांसद के. रघुराम के आपत्तिजनक भाषण प्रसारित करने के मामले में दक्षिण भारत के दो टीवी चैनलों को राहत मिल गई है। न्यायालय ने इस मामले में टीवी 5 और एबीएन आंध्रज्योति के खिलाफ देशद्रोह के केस में दंडात्मक कार्रवाई करने से आंध्र प्रदेश पुलिस को रोक दिया है। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब समय आ गया है , जब राष्ट्रद्रोह की सीमा तय कर दी जाए।

सर्वोच्च न्यायालय ने सांसद के. रघुराम के कथित आपत्तिजनक भाषण को प्रसारित करने पर राजद्रोह के आरोप का सामना कर रहे इन टीवी चैनलों द्वारा दायर याचिका पर आंध्र प्रदेश सरकार से चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने को कहा है।

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सरकार से मांगा जवाब
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव और एस. रविंद्र भट्ट की पीठ ने कहा कि यह एफआईआर मीडिया की आजादी को खत्म करने का एक प्रयास है। बेंच ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 122ए और 153ए के तहत अपराधों के दायरे को, विशेष तौर पर मीडिया की आजादी के संदर्भ में परिभाषित करने की आवश्यकता है। बेंच ने अब इन समाचार चैनलों की याचिका पर आंध्र प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही अगली सुनवाई तक चैनलों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है।

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