किसान महापंचायत अपने खोदे गड्ढे में गिरा? न्यायालय में पड़ी मुंह की खानी

किसान यूनियन के प्रदर्शन को लगभग 11 महीने हो रहे हैं, इस बीच सर्वोच्च न्यायालय में किसान मंहाचयत ने एक याचिका दायर की है।

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यदि किसान समूह पहले ही कृषि कानूनों को चुनौती देने के लिए न्यायालय में आ चुके हैं तो उन्हें प्रदर्शन करने की क्या आवश्यकता है। यह प्रश्न भी उसका हिस्सा है जो शुक्रवार को प्रदर्शकारी किसान महापंचायत से सर्वोच्च न्यायालय ने किया। किसान महापंचायत ने सर्वोच्च न्यायालय से दिल्ली के जंतर मंतर पर सत्याग्रह की इजाजत मांगने के लिए याचिका दायर की है। इसकी सुनवाई में न्यायालय का अभिप्राय गणतंत्र दिवस परेड पर हुई हिंसा और सड़क जाम करके रखने को लेकर भी था। जिससे लगा कि किसान महापंचायत अपने ही खोदे गड्ढे में गिरा है।

सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश एएम खानविलकर किसान महापंचायत की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। जिसमें किसान यूनियन दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन की अनुमति चाहता है। इस याचिका की सुनवाई में न्यायाधीश ने पूछा, जब आप न्यायालय में आ गए हैं, तो सत्याग्रह करने का क्या अर्थ है? क्या आप न्याय व्यवस्था के विरुद्ध प्रदर्शन करना चाहते हैं? व्यवस्था में विश्वास रखें।

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सड़क जाम करने को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां
आपने शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर में आना चाह रहे हैं, वहां रहनेवाले क्या प्रदर्शन से खुश हैं? यह व्यापार बंद होना चाहिए। आप सुरक्षा बल और सेना के लोगों को रोक रहे हैं, यह रुकना चाहिए। एख बार जब आप न्यायालय में आ गए तो प्रदर्शन करने का कोई अर्थ नहीं है।

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