सर्वोच्च न्यायालय ने 7 फरवरी को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसे वकील विक्टोरिया गौरी मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायधीश के रूप में नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। इसके मात्र 15 मिनट बाद वकील गौरी ने मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण कर लिया। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को जोरदार झटका देते हुए उसकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि हम कॉलेजियम से सिफारिश पर पुनर्विचार के लिए दबाव नहीं डाल सकते। न्यायालय ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें अतिरिक्त न्यायाधीश को स्थाई न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति नहीं मिली, क्योंकि उनका परफॉर्मेंस अच्छा नहीं था।
Big breaking
SC refuses to entertain sickularists' pleas against Victoria Gowri.
She takes oath as additional judge of Madras HC
Anti-Hindu petitioners were opposing her appointment, saying "she had made controversial remarks against Muslims and Christians and has links with BJP" pic.twitter.com/qyfyYSGo9I— Prof Hari Om (@DostKhan_Jammu) February 7, 2023
न्यायालय ने की टिप्पणी
जस्टिस संजीव खन्ना ने स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसे मामले पहले भी देखने को मिले हैं, जब विशेष राजनीतिक जुड़ाव वाले लोगों को नियुक्ति दी गई। जस्टिस खन्ना ने कहा कि जो तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, वे वर्ष 2018 में दिए एक भाषण के हैं। खन्ना ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने भी विक्टोरिया गौरी के नाम की सिफारिश करने से पहले उनका निरीक्षण किया होगा। जस्टिस वीआर गवई ने कहा कि जज बनने से पहले उनका भी राजनीतिक जुड़ाव रहा है, मगर वे 20 वर्षों से जज हैं। इस मामले में उनका राजनीतिक करियर कभी बाधा नहीं बना।
कुल 11 अधिवक्ताओं की नियुक्ति
केंद्रीय कानू मंत्री किरेन किजिजू ने वकील विक्टोरिया गौरी सहित कुल 11 अधिवक्ताओं और दो न्यायिक अधिकारियों को 7 फरवरी को नियुक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। इन्हें इलाहाबाद, कर्नाटक और मद्रास उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया गया है।
यह है मामला
मद्रास हाई कोर्ट के कुछ बार सदस्यों ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर गौरी को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्ति की सिफारिश को वापस लेने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया था कि उन्होंने ईसाईयों और मुसलमानों के खिला आपत्तिजनक भाषण दिए थे।