सर्वोच्च न्यायालय ने निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ दायर याचिका पर नई बेंच का गठन कर सुनवाई का भरोसा दिया। याचिकाकर्ता के वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने 24 नवंबर को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई करने वाले जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस हेमंत गुप्ता रिटायर हो गए हैं, ऐसे में नई बेंच का गठन किया जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम बेंच का गठन करेंगे।
30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया था। इस मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निकाह हलाला और बहुविवाह का समर्थन किया है। बोर्ड ने निकाह हलाला, बहुविवाह के खिलाफ दायर अर्जी का विरोध किया है। बोर्ड ने अपनी याचिका में कहा है कि 1997 के फैसले में ये साफ हो चुका है कि पर्सनल लॉ को मूल अधिकारों की कसौटी पर नहीं आंका जा सकता।
इस तरह चली पिछली सुनवाई
-सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च 2018 को इस मसले पर सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए संविधान बेंच को रेफर कर दिया था। कोर्ट ने इस मामले में सहयोग करने के लिए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और विधि आयोग को निर्देश दिया था। बता दें कि बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय और सायरा बानो के बाद दिल्ली की महिला समीना बेगम ने बहुविवाह और निकाह-हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अपनी याचिका में इस महिला ने बहुविवाह और निकाह-हलाला को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध घोषित करने और मुस्लिम पर्सनल लॉ की धारा-2 को असंवैधानिक करार देने की मांग की है।
-दक्षिणी दिल्ली की समीना बेगम ने याचिका दायर की है। उसने याचिका में कहा है कि उसकी शादी 1999 में जावेद अनवर से हुई थी। उससे उसे दो बेटा पैदा हुआ था। जावेद ने उसके ऊपर काफी अत्याचार किया। जब उसने आईपीसी की धारा-498ए के तहत शिकायत दर्ज कराई तो जावेद ने उसे तलाक का पत्र भेज दिया। उसके बाद उसने 2012 में रियाजुद्दीन नामक शख्स से शादी की, जिसकी पहले से ही आरिफा नामक महिला से शादी हो चुकी थी। रिजायुद्दीन ने भी उसे उस समय फोन पर तलाक दे दिया था, जब वह गर्भवती थी।
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