शिवसेना पर घमासान, चुनाव आयोग के निर्णय पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई लटकी

शिवसेना दल दो गुटों बँट गई थी, जिसमें दोनों गुटों ने मूल शिवसेना पर अपना दावा प्रस्तुत किया था। इसके लिए दोनों ही गुटों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई चल रही है। अब इसमें एक नया प्रकरण चुनाव आयोग के निर्णय को चुनौती वाला जुड़ गया है।

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शिवसेना को लेकर घमासान जारी है। चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को मूल शिवसेना और चुनाव चिन्ह देने का निर्णय दिया है। जिसे उद्धव ठाकरे गुट ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका के द्वारा चुनौती दी है। ठाकरे गुट की याचिका पर मंगलवार को भी सुनवाई नहीं हुई, न्यायालय ने 22 फरवरी (बुधवार) को दोपहर साढ़े तीन बजे सुनवाई का समय दिया है।

चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ठाकरे गुट
दरअसल, चुनाव आयोग ने 17 फरवरी को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना करार देते हुए धनुष-बाण चुनाव चिह्न आबंटित कर दिया था। आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। चुनाव आयोग ने कहा था कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई। इन तरीकों को निर्वाचन आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था।

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वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने रखा पक्ष
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रखा। अधिवक्ता सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से कहा कि अगर चुनाव आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो वे बैंक खाते सहित अन्य बहुत कुछ अपने कब्जे में ले लेंगे। उन्होंने कहा कि मेरा अनुरोध है कि इस मामले को कल संविधान पीठ के सामने उठाएं।

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