पेगासस जासूसी कांड पर सर्वोच्च न्यायालय में विपक्ष को निराशा हाथ लगी है। न्यायालय ने दायर चाचिका पर सवाल दागते हुए पूछा, ‘आपने जो याचिका दायर की है, उसमें आपने कहा है कि मई 2019 में पेगासस जासूसी का मामला सामने आया। फिर उस समय उस पर आपत्ति क्यों नहीं हुई। दो साल बाद अचानक यह मामला कैसे उठ गया?’
10 अगस्त को अगली सुनवाई
पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय में नौ याचिका दायर की गई है। 5 अगस्त को न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना और न्यायाधीश सूर्यकांत की पीठ के समक्ष ये याचिकाएं पेश की गईं। इस दौरान पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल पर तीखे सवाल दागे। न्यायालय ने इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस नहीं भेजा। हालांकि, उन्होंने याचिकाकर्ताओं को याचिका की एक प्रति केंद्र सरकार को भेजने का निर्देश दिया। इसी के साथ मामले की सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गई। कुल नौ याचिकाकर्ताओं ने मामले की जांच की मांग की है।
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वकील कपिल सिब्बल ने कहाः
पीठ के सवालों का जवाबव देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह सब गुप्त रूप से शुरू किया गया। उस समय हमें पता नहीं चला तो हम याचिका कैसे दायर कर सकते थे? वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “हमें बाद में पता चला कि कुछ लोगों के फोन रिकॉर्ड किए जा रहे हैं।”
थाने में शिकायत क्यों नहीं की?
पीठ ने पूछा कि याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय में आने से पहले कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की? याचिकाकर्ता ने थाने में शिकायत दर्ज नहीं कराई। अगर आप जानते हैं कि फोन टैप किया जा रहा है, तो केस क्यों नहीं दायर किया? उस समय, वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है।