विश्व में एक बार फिर आर्थिक मंदी की आशंका के बादल मंडराने लगे हैं। यह आशंका विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक सर्वे रिपोर्ट में जताया गया है। डब्ल्यूईएफ की वार्षिक बैठक में इस सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में हो रही आर्थिक मंच की बैठक में विश्व के सभी प्रमुख देशों के नेता, उद्योगपति, कारोबारी और अर्थशास्त्री भाग लेंगे। इस रिपोर्ट को निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के दिग्गज अर्थशास्त्रियों ने तैयार किया है।
विकास की रफ्तार पड़ रही सुस्त
डब्ल्यूईएफ की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने सर्वे के परिणामों पर कहा कि दुनिया में बढ़ती महंगाई, धीमी पड़ती विकास दर, बढ़ता कर्ज और पर्यावरणीय बदलावों से निवेश का लाभ घट गया है। इससे विकास की रफ्तार सुस्त पड़ गई है और उपभोग की वस्तुओं पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। वर्तमान में विश्व का बड़ा भू-भाग इन समस्याओं की जद में है। इन्हीं के कारण 2023 में दुनिया पर मंदी का खतरा गहरा रहा है। यह सर्वे रिपोर्ट ऐसे समय है जब विश्व बैंक ने कई देशों की आर्थिक वृद्धि की संभावित दर घटाई है। कई देशों की कम हुई वृद्धि दर से ही आने वाले समय में मंदी की आशंका पैदा हुई है।
बढ़ेगी और महंगाई
मंदी की आशंका के प्रमुख कारण में यूक्रेन युद्ध के दुष्परिणाम को केंद्र बिंदु माना जा रहा है। जिससे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इसकी जद में आ सकते हैं और कोरोना संक्रमण भी आर्थिक गतिविधियों पर बड़ा असर डाल सकता है। मंदी की स्थिति का असर वैसे तो पूरी दुनिया पर पड़ेगा, लेकिन कमजोर और सिकुड़ती अर्थव्यवस्था वाले देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। डब्ल्यूईएफ के सर्वे में 2023 में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई गई है।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर पड़ेगा गंभीर प्रभाव
दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में महंगाई का स्तर भिन्न-भिन्न होगा। जैसे की चीन में महंगाई की दर पांच प्रतिशत रह सकती है, जबकि यूरोपीय देशों में 57 प्रतिशत तक। यूरोपीय देशों में ईंधन मूल्य महंगाई बढ़ने के सबसे बड़े कारण होंगे। मंदी का शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं पर गंभीरता से प्रभाव पड़ेगा।