Surya Grahan: सूर्य ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, और सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाती।
यह घटना वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यधिक दिलचस्प है, और इसके बारे में जानने से हम हमारे सौरमंडल और इसके कामकाजी तंत्र को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण के होने का कारण और इसके पीछे का विज्ञान।
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सूर्य ग्रहण क्या है?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, और इस कारण सूर्य का कुछ या पूरा हिस्सा पृथ्वी से ढक जाता है। चंद्रमा का आकार सूर्य से काफी छोटा होता है, लेकिन यह सूर्य के साथ अपनी सही स्थिति में होने के कारण कभी-कभी सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है, जिससे “पूर्ण सूर्य ग्रहण” की घटना घटती है। यदि चंद्रमा सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ढकता है, तो इसे “अंशत: सूर्य ग्रहण” कहा जाता है।
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सूर्य ग्रहण क्यों होता है?
सूर्य ग्रहण का मुख्य कारण पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच की स्थिति है। यह घटना तब घटती है जब तीनों खगोलीय पिंड एक रेखा में आ जाते हैं। इसे खगोलीय भाषा में “syzygy” कहा जाता है। हालांकि, सूर्य और चंद्रमा का आकार अलग-अलग होते हुए भी, चंद्रमा और सूर्य की दूरी पृथ्वी से बदलती रहती है, इसलिए कभी-कभी चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढकता है, और कभी केवल उसका कुछ हिस्सा ढकता है।
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सूर्य ग्रहण की प्रकार
- पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Solar Eclipse): इस प्रकार के ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है, और दिन के समय रात जैसा अंधेरा हो जाता है। यह घटना बहुत ही दुर्लभ होती है और कुछ ही स्थानों पर देखी जा सकती है।
- अंशत: सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse): इस प्रकार के ग्रहण में चंद्रमा सूर्य का कुछ हिस्सा ढकता है, लेकिन पूरी सूर्य की रोशनी नहीं रुकती। इसे हर जगह से देखा जा सकता है, जहां ग्रहण का आंशिक असर होता है।
- हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse): यह एक दुर्लभ प्रकार का ग्रहण है, जिसमें कुछ स्थानों पर पूर्ण सूर्य ग्रहण और कुछ स्थानों पर अंशत: सूर्य ग्रहण होता है।
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सूर्य ग्रहण का विज्ञान
सूर्य ग्रहण का विज्ञान इस बात पर निर्भर करता है कि चंद्रमा पृथ्वी से कितनी दूरी पर है और सूर्य से कितनी दूरी पर है। चंद्रमा का आकार सूर्य से लगभग 400 गुना छोटा होता है, लेकिन चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 400 गुना पास भी है, जिससे यह सूर्य को पूरी तरह से ढकने में सक्षम होता है। हालांकि, पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी में बदलाव के कारण कभी-कभी चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता, और एक “वलयाकार सूर्य ग्रहण” होता है, जिसमें सूर्य के चारों ओर एक चमकदार रिंग दिखाई देती है।
सूर्य ग्रहण के प्रभाव
सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोई विशेष प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होता है, हालांकि इसे एक रहस्यमय और रोमांचक घटना माना जाता है। प्राचीन काल में लोग सूर्य ग्रहण को एक अशुभ घटना मानते थे, लेकिन आजकल विज्ञान ने इसे एक प्राकृतिक घटना के रूप में स्वीकार किया है।
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पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की अद्भुत स्थिति पर निर्भर
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य की अद्भुत स्थिति पर निर्भर करती है। यह एक सुंदर और रहस्यमय घटना है, जिसे हम देख सकते हैं और समझ सकते हैं, लेकिन हमें इसे सही तरीके से देखना चाहिए, क्योंकि सूर्य की रोशनी सीधे आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह घटना पूरी तरह से सुरक्षित होती है, और इसे एक प्राकृतिक खगोलीय घटना के रूप में अनुभव करना बहुत रोमांचक होता है।
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