Swatantrya Veer Savarkar: युवाओं के लिए बनी है यह फिल्म, उन्हें जरूर देखनी चाहिए- रणदीप हुड्डा की अपील

रणदीप हुड्डा ने कहा कि ऐतिहासिक फिल्मों में आम तौर पर भाषण अधिक होते हैं। इस फिल्म को बनाते समय मैंने इस बात का ख्याल रखा है ताकि यह बोझिल न हो। फिल्म में आधुनिक तकनीक का पूरा-पूरा इस्तेमाल किया गया है।

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Swatantrya Veer Savarkar: फिल्म ‘ स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ 22 मार्च को रिलीज हो गई है। फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’के निर्देशक और अभिनेता रणदीप हुड्डा ने अपील की है कि हर उम्र के लोगों को यह फिल्म देखनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि फिल्म बनाते समय युवा वर्ग का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्हें तो यह फिल्म जरुर ही देखनी चाहिए।

रणदीप हुड्डा ने कहा,”ऐतिहासिक फिल्मों में आम तौर पर भाषण अधिक होते हैं। इस फिल्म को बनाते समय मैंने इस बात का ख्याल रखा है ताकि यह बोझिल न हो। फिल्म में आधुनिक तकनीक का पूरा-पूरा इस्तेमाल किया गया है। ऐतिहासिक होते हुए भी आखिर यह एक फ़िल्म ही है। दर्शकों को इसका आनंद लेना चाहिए।

Veer Savarkar Premiere Show: स्वातंत्र्य वीर सावरकर के त्याग, समर्पण और देशभक्ति को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई फिल्मः रणदीप हुड्डा

देश के क्रांतिकारियों के जीवन और संघर्ष को लोगों के सामने लाना मेरा मिशनः रणदीप हुड्डा
रणदीप हुड्डा सुदर्शन टीवी पर प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके द्वारा आयोजित एक विशेष साक्षात्कार में बोल रहे थे। इस इंटरव्यू में हुड्डा ने सावरकर पर फिल्म बनाने के दौरान अपने अनुभव को साझा किया। अभिनेता रणदीप हुड्डा ने कहा कि क्रांतिकारियों के जीवन, संघर्ष और बलिदान को समाज के सामने लाना मेरा मिशन है। इस दौरान रणदीप हुड्डा ने कहा कि मैं हरियाणा के जाट समुदाय से हूं। इस समुदाय के लोग काफी मेहनती होते हैं। मैंने वीर सावरकर के व्यक्तित्व को चित्रित करने के लिए बहुत मेहनत की है।

32 किलो कम किया वजन
रणदीप हुड्डा ने कहा, “मैंने 32 किलो वजन कम किया। मैंने वीर सावरकर की भावनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह फिल्म बनाई है। इसे लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है। जब मैं पुणे में स्क्रीनिंग के लिए गया तो लोग मेरा जिस तरह से सम्मान कर रहे थे, यह एक अलग अनुभव था। भूला दिए गए क्रांतिकारियों को समाज में वापस लाने का मेरा अभियान आगे भी जारी रहेगा है। मेरी इच्छा है कि हमारे क्रांतिकारी यानी देश के असली नायक गांवों तक पहुंचें। इसलिए हर किसी को यह फिल्म देखनी चाहिए और वास्तविक इतिहास जानना चाहिए।”

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